MP Elections 2023: मध्य प्रदेश में 100 दिन के अंदर चुनाव होने हैं और ऐसे में चुनावी बयार तेजी से बह रही है. इसी के साथ जनता ये जानने के लिए उत्सुक है कि इस बार प्रदेश की सत्ता की कमान किसके हाथों में जा सकती है? इसी बीच इस विधानसभा चुनाव से पहले कई सर्वे सामने आए हैं, जिससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस बार मध्य प्रदेश की जनता का मूड क्या है. 


दरअसल, बीते दस दिन में कई मीडिया संस्थानों के सर्वे में जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, उसके हिसाब से सीएम शिवराज सिंह चौहान की स्थिति बेहतर दिख रही है लेकिन लड़ाई काँटे की है. सर्वे में यह सवाल किया गया था कि अगर आज मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हो जाएं तो किसे जीत हासिल हो सकती है? इसपर जनता ने अपनी राय पेश करते हुए बताया है कि चुनाव में बीजेपी को बढ़त मिल सकती है.


आईएनएस के ओपिनियन पोल के अनुसार, बीजेपी को एमपी में 120 सीटें मिलती दिख रही हैं. वहीं, आईबीसी 24 के सर्वे में बीजेपी को बहुमत से आगे बताया जा रहा है. इसके अलावा, पोलस्टर के ओपिनियन पोल में बीजेपी को 131 से 146 सीटें मिलती दिख रही हैं. वहीं, अगस्त 2023 में हुए एबीपी सी वोटर सर्वे के अनुसार, मध्य प्रदेश की 230 सीटों में बीजेपी को 106 से 118 सीटें मिलने का अनुमान है और 108-120 सीटों के साथ कांग्रेस को बढ़त मिल रही है. 


वहीं, अगर पसंदीदा सीएम चेहरे की बात करें तो एबीपी सी वोटर सर्वे के मुताबिक, सीएम शिवराज और कमलनाथ के बीच कड़ी टक्कर चल रही है. 44 फीसदी जनता ने शिवराज सिंह चौहान और 44 फीसदी जनता ने कमलनाथ पर भरोसा जताया है.


एमपी की जनता को साधने के लिए बीजेपी की योजनाएं
विधानसभा चुनाव से पहले जनता को साधने के लिए बीजेपी ने कई योजनाओं की शुरुआत की है. प्रदेश की महिलाओं के लिए लाडली बहना योजना और राज्य में आदिवासियों के लिए पेसा एक्ट लागू करने का एलान दो ऐसी योजनाएं हैं, जिनसे बीजेपी खुद को मजबूत कर सकती है. 


दूसरी ओर, अपनी चुनावी गारंटियों के जरिए कांग्रेस भी मध्य प्रदेश की जनता को साधने की कोशिशों में लगी है. कांग्रेस का दावा है कि अगर सरकार बनती है तो एमपी में जातिगत गणना की जाएगी. वहीं, किसानों के मुकदमे वापस लेना, पुरानी पेंशन योजना लागू करना आदि भी कांग्रेस की योजनाओं में शामिल है.


मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे
जानकारी के लिए बता दें कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई और कमलनाथ की सरकार बनी थी. हालांकि, तत्कालीन सरकार का तख्तापलट तब हुआ जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी का दामन थामा और शिवराज सरकार वापस आई.


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