MP Elections 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों का रण इस बार बेहद रोमांचक होने जा रहा है. एक ओर जहां कांग्रेस पार्टी अपने जी जान से इस विधानसभा चुनावों में सरकार बनाने की जुगत में है. वहीं आप पार्टी ने भी मध्य प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर दिया है. इस बीच आप के बाद अब बाप की एंट्री ने मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों को बीजेपी के लिए बेहद मुश्किल बना दिया है. बाप यानि भारतीय जनता पार्टी ने इस विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश में अपने 9 उम्मीदवारों की एक लिस्ट गुरूवार रात जारी की.


इस लिस्ट पर नजर घुमाएं तो पता चलता है कि, भारतीय आदिवासी पार्टी यानि बाप ने मालवा निमाड़ की 9 उन सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारा है, जहां आदिवासियों का बोलबाला है. इनमें देवास, धार, बड़वानी, अलीराजपुर और झाबुआ जैसे जिले शामिल हैं. भारतीय आदिवासी पार्टी ने इस बार के विधानसभा चुनावों के लिए मध्य प्रदेश के जिन विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, उनमें पेटलावद से बालू सिंह गामड, थांदला से मांजू डामोर, झाबुआ से गब्बर वास्कले, सेलाना से कमलेश्वर डोडियार, सरदारपुर से राजेंद्र सिंह गामड, बडवान से दीपक सेंगर, राजपुर से रविंद्र चौहान, बदनावर से विक्रम सोलंकी और बागली से शेर सिंह भूरिया के नाम शामिल हैं. 


राजस्थान से हुआ इनका उदय
भारतीय आदिवासी पार्टी का मूल उदय राजस्थान से हुआ है. राजस्थान में सबसे बड़ा आदिवासी क्षेत्र है, इसके अलावा अन्य एक या दो जगह इसका हिस्सा है, क्योंकि यहां अन्य समाज की तुलना में बड़ी संख्या में आदिवासी रहते हैं. इसी कारण एक विचारधार को लेकर आदिवासी समाज जो कि एक संगठन है वह खड़ा हुआ. पिछले चुनाव में बीटीपी को सपोर्ट दिया जिससे दो विधायक बने. इसके बाद बड़ी संख्या में आदिवासी जुड़ते गए और खासकर युवा सबसे ज्यादा जुड़े.


इसके बाद जन छात्र संघ चुनाव हुए. उदयपुर संभाग में 30 में से 18 सीटें भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा ने जीती. यह मोर्चा भी आदिवासी समाज से ही जुड़ा है. अब इनके कार्यकर्ताओं का फैलाव ज्यादा हो गया है जिससे आदिवासी समाज एक नई पार्टी भारतीय आदिवासी पार्टी लेकर आए हैं. 


ऐसे चुनते हैं उम्मीदवार
वहीं चुनाव आते ही राजनीतिक पार्टियां लाखों रुपये खर्च करके बड़ी-बड़ी सभाएं करती हैं. भीड़ जुटाने करने के लिए कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्रों में घूमते हैं. भारी प्रचार-प्रसार किया जाता है. वहीं इनका आपस में ब्लॉक से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर सोशल मीडिया पर एक ग्रुप बना हुआ है. इस ग्रुप में सिर्फ एक मैसेज डालते ही लोग आ जाते हैं. इसका उदाहरण मानगढ़ धाम में दिखा था, यहां तीन लाख से ज्यादा लोग आए थे. बता दें कि, इस पार्टी में कोई लीडर नहीं है. सभा में कितने भी लोग आएं, मंच नहीं बनता है.


सभी लोग एक ही जाजम पर समान बैठते हैं. इनका मानना है कि, हम अन्य पार्टियों की चली आ रही परंपराओं को खत्म करना चाहते हैं. इस पार्टी में पंचायत मिलकर उम्मीदवारों के नाम तय करती है. पंचायत में भी तय करने से पहले लोगों के साथ बैठक करके पूछा जाता है. ऐसे में जिसका नाम सबसे ऊपर होता है उसे टिकट मिल जाता है. इन्होंने प्रधान, सरपंच के चुनाव में भी यहीं किया था. अब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी यही फार्मूला अपनाया गया है.


ये भी पढ़ें: MP News: अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती बोले- 'केवल अपने सियासी लाभ के लिए सनातन पर..., अयोध्या राममंदिर को लेकर दिया ये बड़ा बयान