MP Elections 2023: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. ऐसे में पार्टियां पूरे जोरशोर से जनता को रिझाने में जुटी हुई हैं. इस बीच कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे के दांव को फेल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं. कंग्रेस के ओबीसी फैक्टर को फोल करने के लिए बीजेपी ने इस वर्ग से 66 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. पार्टी ने पहली चार सूचियों में ओबीसी से 40 प्रत्याशियों को टिकट दिया और पांचवीं सूची में 26 और प्रत्याशी को जगह मिली. जबकि कांग्रेस ने 62 ओबीसी प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं. 


दरअसल, बीजेपी ने 228 सीटों पर 50 युवा चेहरे उतारे हैं. साथ ही 47 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिन्हें पहली बार टिकट दिया गया है. वहीं आठ प्रत्याशी अल्पसंख्यक समुदाय के हैं, जबकि कांग्रेस ने पांच जैन, तीन सिंधी और दो मुस्लिम समुदाय से प्रत्याशी दिए हैं. एमपी में 70 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. कहीं, कुरमी-पटेल तो कहीं यादव या कौरव, लोधी व किरार समाज की प्रभावी भूमिका है. राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 48 प्रतिशत मतदाता पिछड़ा वर्ग के हैं. विंध्य, बुंदेलखंड और महाकोशल अंचल में ओबीसी मतदाता की कई विधानसभा क्षेत्रों में प्रभावी भूमिका में हैं. इसे ध्यान में रखते हुए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही ओबीसी वर्ग के प्रत्याशियों को टिकट दिया है. 


कांग्रेस ने अब तक एक भी ओबीसी सीएम नहीं दिया-बीजेपी
कांग्रेस सरकार सत्ता में आने पर जाति आधारित गणना की गारंटी दे रही है और इसके लाभ भी बता रही है. पिछड़ा वर्ग के प्रति सोच को स्पष्ट करने के लिए कांग्रेस ने राज्य में 27 प्रतिशत टिकट अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को दिए हैं. इधर पार्टी पदाधिकारियों का दावा है कि, 229 में से 99 प्रत्याशियों की आयु 50 वर्ष से कम है. वहीं बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी आशाष अग्रवाल ने कहा कि, कांग्रेस ने मध्य प्रदेश को एक भी ओबीसी मुख्यमंत्री नहीं दिया है. बीजेपी ने ओबीसी मुख्यमंत्री उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान को दिया है. कांग्रेस ने नगरीय निकाय के चुनाव में ओबीसी आरक्षण को भी उलझाने का काम किया, लेकिन बीजेपी सरकार ही है, जिसने निकाय चुनाव में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण दिया है और विधानसभा चुनाव में 66 ओबीसी प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे हैं.


सपा-कांग्रेस के बीच तल्खी तेज
वहीं मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व सपा में चल रही तल्खी के बीच सोमवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिर्ची बाबा ने लखनऊ में मुलाकात की. कांग्रेस नेताओं के करीबी रहे मिर्ची बाबा के सपा के टिकट पर मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने की संभावना है. सपा मुखिया ने मिर्ची बाबा की तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि, मिर्ची बाबा को एमपी विधानसभा चुनाव में एक विशेष सीट से चुनाव लड़ने के लिए शुभकामनाएं. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से समझौता न होने के बाद सपा 42 उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुकी है. बता दें कि, मिर्ची बाबा का असली नाम राकेश दुबे है. संन्यास लेने के बाद नाम बदलकर वैराग्यनंद गिरी हो गए. कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें एक निगम का अध्यक्ष बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था.



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