MP Elections 2023: सूबे के 22 फीसदी आदिवासी वोटरों को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने एक बार फिर मध्य प्रदेश का दौरा कर सकते हैं. 5 अक्टूबर को गौंड राजवंश की वीरांगना रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती के राजकीय समारोह में पीएम मोदी का जबलपुर दौरा प्रस्तावित है. इस दौरान 100 करोड़ रुपये से मदन महल की पहाड़ी पर रानी दुर्गावती के भव्य स्मारक का भूमिपूजन होगा.


1857 की क्रांति के नायक राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की कि 100 करोड़ रुपये से मदन महल की पहाड़ी पर रानी दुर्गावती का भव्य स्मारक बनाया जाएगा. 5 अक्टूबर को रानी की 500वीं जयंती पर इसका भूमिपूजन होगा. सीएम ने कहा कि रानी दुर्गावती ने अपने शौर्य एवं सामर्थ्य से एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की थी.भव्य स्मारक रानी दुर्गावती के उसी शौर्य, वीरता, सेवा, सुशासन एवं गौरव का प्रतीक होगा.


प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि 5 अक्टूबर को होने वाले रानी दुर्गावती के 500वें जन्मोत्सव कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आना भी प्रस्तावित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 14 सितंबर को अपने सागर दौरे के दौरान रानी दुर्गावती के 500वें जन्मोत्सव पर भव्य समारोह की घोषणा की थी.


बताते चले कि जबलपुर में अगले 15 दिनों तक वीआइपी विजिट पखवाड़ा होने वाला है. 22 सितंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कैंट और पश्चिम विधानसभा में जनदर्शन कार्यक्रम है. 27 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जबलपुर आगमन हो रहा है. वे यहां मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के नए भवन की आधारशिला रखेंगी. इसके साथ ही 5 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जबलपुर दौरा संभावित है. सभी प्रशासनिक अधिकारी अभी से तीनों बड़े कार्यक्रम की तैयारियों में जुट गए है.


नगर निगम के अधिकारियों की 5 अक्टूबर तक छुट्टियों पर रोक लगा दी गई है. आदेश में कहा गया है कि अर्जेंट कारण को छोड़कर इस दौरान किसी भी अधिकारी का अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाएगा.


बताते चले कि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब 100 दिन से भी कम समय बचा है. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस ने उन 78 सीटों पर अपना फोकस बढ़ा दिया है, जहां आदिवासी वोटर ही जीत-हार का फैसला करते हैं.इनमें से 47 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं. दोनों ही दलों की चिंता की बड़ी वजह यह है कि आदिवासी समुदाय का रुझान फिलहाल बेहद नकारात्मक दिख रहा है. इसी के चलते बीजेपी ने अपने दोनों दिग्गज नेताओं पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को एक साथ आदिवासी वोटरों की पिच पर बैटिंग के लिए उतार दिया है. कांग्रेस भी प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को आदिवासियों के बीच उतारने की तैयारी में है.


मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र दुबे कहते हैं कि पिछले चुनाव में आदिवासी वोटरों ने बीजेपी के प्रति बेरुखी दिखाई थी.शिवराज सरकार के अभी तक के कार्यकाल में भी आदिवासियों में भारतीय जनता पार्टी को लेकर कोई बड़ा उत्साह देखने को नहीं मिल रहा है.


पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 47 सुरक्षित आदिवासी सीटों में से 31 कांग्रेस जीतने में सफल रही थी,जबकि बीजेपी को सिर्फ 16 सीटें ही मिली थीं.हालांकि, इससे पहले 2013 के चुनाव में बीजेपी ने 47 में से 30 सीटें जीती थीं.इसीलिए कांग्रेस आदिवासी वोटों पर अपनी पकड़ मज़दूत रखना चाहती है तो बीजेपी आदिवासियों को फिर से अपने साथ जोड़ने की हरसंभव कोशिश कर रही है.


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