MP Elections 2023: मन में इच्छा शक्ति हो और अपने शहर, विधानसभा या संसदीय क्षेत्र के लिए कुछ करने की ललक हो तो जनप्रतिनिधियों के लिए विधायकी और सांसदी का एक कार्यकाल ही बहुत होता है. लेकिन इसे विडम्बना ही कहेंगे कि सीहोर जिले की इछावर में विधानसभा में 7 बार से विधायक बनते आ रहे सीनियर विधायक करण सिंह वर्मा 7 बड़ी सौगातें भी नहीं दे सके हैं. भोपाल की गोविंदपुरा सीट से सबसे लंबे समय तक विधायक रहे स्व. बाबूलाल गौर के बाद करण सिंह वर्मा मध्य प्रदेश के सबसे सीनियर विधायक हैं. हालांकि उनकी विधानसभा इछावर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मामले में काफी पिछड़ी है. 


बता दें, सीहोर जिले की अंतर्गत इछावर विधानसभा आती है. इछावर विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 1 लाख 99 हजार 371 है. इनमें पुरुष मतदाता 1 लाख 4 हजार 544, जबकि 94 हजार 825 महिला और 2 अन्य मतदाता है. इछावर विधानसभा का गठन 1977 में हुआ था. शुरुआत से ही इछावर विधानसभा बीजेपी का गढ़ रही है. गठन के बाद ही जनता पार्टी से नारायण प्रसाद गुप्ता विधायक चुने गए थे. इछावर विधानसभा में महज दो बार ही कांग्रेस अपना खाता खोल सकी है, शेष सात बार बीजेपी और एक बार जनता पार्टी से विधायक चुने गए. बीजेपी का गढ़ होने के बाद बावजूद भी इछावर विधानसभा जिले में काफी पिछड़ी है. इछावर विधानसभा में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मामले में इछावर विधानसभा के लोग अन्य शहरों की ओर ही अपना मुंह तांकते हैं. रुढ़ीवादी परम्परा नुक्ता-रसाई का इछावर विधानसभा में आज भी चलन है. वर्तमान में भी इछावर विधानसभा की राजनीति नुक्ता-रसोई पर ही निर्भर है. 


1985 से बीजेपी का गढ़
बता इछावर विधानसभा साल 1985 से बीजेपी का गढ़ है. 1985 में पहली बार करण सिंह वर्मा इछावर से विधायक चुने गए थे, इसके बाद वे 1990, 1993, 1998, 2003 और 2008 में भी बीजेपी की ओर से विधायक चुने गए थे. हालांकि उनकी जीत का यह क्रम साल 2013 में टूट गया था. 2013 में कांग्रेस के युवा नेता शैलेन्द्र पटेल इछावर से विधायक चुने गए, लेकिन 2018 में करण सिंह वर्मा ने कांग्रेस के शैलेन्द्र पटेल को हरा दिया. वर्तमान में करण सिंह वर्मा ही इछावर से विधायक हैं. बता दे करण सिंह बार दो बार मप्र के मंत्रीमंडल के सदस्य भी रह चुक हैं. 


शिक्षा-स्वास्थ्य और रोजगार में पिछड़ा इछावर
बता दें एमपी के सबसे सीनियर विधायक करण सिंह वर्मा इछावर विधानसभा से सात बार से विधायक चुनते आ रहे हैं, बावजूद इछावर विधानसभा को वे 7 बड़ी सौगातें भी नहीं दे सके हैं. इछावर विधानसभा शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मामले में काफी पिछड़ी हुई हैं. शिक्षा की बात करें इछावर में कॉलेज तो हैं, लेकिन पाठ्यक्रम सीमित हैं. बीए की पढ़ाई के बाद छात्र-छात्राओं को आगे की पढ़ाई के लिए भोपाल सीहोर का मुंह तांकना पड़ता है. इसी तरह स्वास्थ्य की बात करें तो यहां शासकीय अस्पताल तो है, लेकिन डॉक्टरों की कमी है.


छोटे-छोटे मर्ज में मरीजों को भोपाल सीहोर के लिए रेफर कर दिया जाता है. इसी तरह रोजगार की बात करें तो इछावर विधानसभा में कहने को दो फैक्ट्रियां हैं, यह दोनों ही फैक्ट्रियां इछावर शहर से दूर सीहोर जिला मुख्यालय के नजदीक है. रोजगार के साधन नहीं होने की वजह से इछावर शहर के युवा अन्य शहरों की ओर पलायन करते हैं.


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