MP Politics: कांग्रेस नेता गोविंद सिंह ने वापस ली ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ वाली याचिका, यह है मामला
MP Politics: हाई कोर्ट ने सोमवार को गोविंद सिंह के वकील को अपनी अपील वापस लेने की अनुमति दे दी. कोर्ट ने कहा, 'विचार करने के बाद हमें इसमें हस्तक्षेप करने की गुंजाइश नहीं दिखती.'
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Govind Singh on Jyotiraditya Scindia: मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता गोविंद सिंह (Govind Singh) ने साल 2020 में राज्यसभा के लिए नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के चुनाव को चुनौती वाली अपनी याचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली. गोविंद सिंह ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील की थी. गोविंद सिंह ने सिंधिया पर बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में मध्य प्रदेश से अपना नामांकन पत्र दाखिल करते समय अपने खिलाफ एक केस के बारे में जानकारी कथित तौर पर छुपाने को लेकर उच्च न्यायालय में उनके चुनाव को चुनौती दी थी.
हाई कोर्ट ने 17 मार्च के अपने आदेश पर पुनर्विचार करने से 13 जुलाई को इनकार करते हुए गोविंद सिंह द्वारा दायर चुनाव याचिका में मुद्दे तय किए थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी थी कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 465 (फर्जीवाड़ा), 468 (धोखाधड़ी) तथा 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में दर्ज की गई प्राथमिकी लंबित आपराधिक मामले के दायरे में नहीं आती है.
क्या एफआईआर दर्ज होने का मतलब आपराधिक मामला है?
गोविंद सिंह की चुनाव याचिका के बाद, हाई कोर्ट ने केवल प्रारंभिक मुद्दा तय किया था कि क्या केवल प्राथमिकी दर्ज होना 'आपराधिक मामला' है? जिसका खुलासा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किसी उम्मीदवार के नामांकन पत्र में किया जाना चाहिए. सिंह ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख कर कहा था कि उनके द्वारा विभिन्न मुद्दों का सुझाव दिया गया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने सुनवाई के लिए केवल प्रारंभिक मुद्दा तय किया था.
शीर्ष अदालत ने सात जुलाई को सिंह की अपील खारिज कर दी थी और कहा था कि चुनाव याचिका में हाई कोर्ट के संबंधित आदेश के आधार पर विचार करने के बाद हमें इसमें हस्तक्षेप करने की कोई गुंजाइश नहीं दिखती. इसके बाद सिंह ने कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की लेकिन इसे भी खारिज कर दिया गया था. हाई कोर्ट ने 13 जुलाई के अपने आदेश में कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने 17 मार्च, 2023 के संबंधित आदेश के आधार पर विचार करने के बाद विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है. इसलिए इस न्यायालय की सुविचारित राय में अब पुनर्विचार की कोई गुंजाइश नहीं है.' उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ सिंह ने शीर्ष अदालत का रुख किया.
हाई कोर्ट में विचारणीय है पुनर्विचार याचिका
जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने सोमवार को गोविंद सिंह के वकील अनूप जॉर्ज चौधरी को उच्च न्यायालय के 13 जुलाई के आदेश के खिलाफ अपनी अपील वापस लेने की अनुमति दे दी. सिंह ने विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि एक पुनर्विचार याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष विचारणीय है क्योंकि शीर्ष अदालत ने उनकी अपील को सरसरी तौर पर खारिज कर दिया था.
उनके वकील ने दलील दी कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के तहत, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को शपथ पत्र के साथ नामांकन फॉर्म में आवश्यक सभी आवश्यक तथ्य या विवरण प्रस्तुत करना होता है.
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