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MP News: जबलपुर पूर्व से कांग्रेस-बीजेपी के प्रत्याशी चौथी बार करेंगे मुकाबला, AIMIM की एंट्री ने बिगाड़ा समीकरण

MP Election: जबलपुर पूर्व विधानसभा में आगामी चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. फिलहाल ये सीट कांग्रेस के पास है, वार्ड पार्षद चुनाव में यहां से बीजेपी ने 50 फीसदी सीटों पर जीत दर्ज की थी.

Jabalpur East Assembly Constituency: मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर की पूर्व विधानसभा (एससी रिजर्व) की गिनती सूबे की चर्चित सीटों में होती है. चुनाव के मौसम में एक बार फिर पूर्व विधानसभा सीट चर्चाओं में है. बीजेपी ने अपने पुराने साथी और पूर्व मंत्री अंचल सोनकर पर भरोसा जताते हुए उम्मीदवार घोषित कर दिया है. वहीं, कांग्रेस के वर्तमान विधायक लखन घनघोरिया का नाम भी लगभग फाइनल है. दोनों के बीच चौथी बार रोचक मुकाबले की उम्मीद की जा रही है. इस सीट पर 80 हजार मुस्लिम वोटर किसी भी पार्टी का सियासी समीकरण बिगाड़ सकते हैं. हालांकि हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के आधार पर बीजेपी इस बार बाजी उलटफेर करने के फिराक में है. 

जबलपुर शहर की पूर्व विधानसभा में सियासत का ग्लैमर सिर चढ़कर बोलता है. क्षेत्र की चुनावी फिल्म में थ्रिलर,सस्पेंस और मसल पावर सब होता है. चुनाव आयोग से लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी भी इस सीट पर पैनी निगाह रखते हैं. आगामी चुनावी समर में शहर की सियासत के दो दिग्गज खिलाड़ी इस सीट पर एक बार फिर आमने-सामने होने वाले हैं. माना जा रहा है कि पिछले तीन चुनावों की तरह इस बार भी लखन घनघोरिया और अंचल सोनकर के बीच फिर जोरदार टक्कर देखने मिलेगी. मौजूदा विधायक लखन घनघोरिया को कांग्रेस अगर उम्मीदवार बनाती है, तो उनका बीजेपी प्रत्याशी अंचल सोनकार से चौथा मुकाबला होगा. 

कांग्रेस प्रत्याशी यहां से दो बार दर्ज कर चुके हैं जीत

हालांकि, इस सीट पर लखन घनघोरिया 2008 और 2018 में मिली जीत के साथ सीरीज में बढ़त बनाए हुए हैं. वहीं, अंचल सोनकर ने 2013 में लखन घनघोरिया के खिलाफ जीत दर्ज कर वापसी की थी, लेकिन सीरीज में वे 2-1 से पीछे हैं. यहां ये बात भी काबिले-गौर है कि 1993, 1998 और 2003 के विधानसभा चुनावों में अंचल सोनकर ने जबलपुर की पूर्व विधानसभा सीट से जीत की हैट्रिक लगाने प्रदेश की सियासत में उनका कद काफी बढ़ गया है. यही वजह रही उनको मंत्री भी बनाया गया. 2008 में अंचल सोनकर के विजयरथ को लखन घनघोरिया ने ही रोका था. इस बार यहां से चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प होने की उम्मीद है.

क्या है राजनीतिक इतिहास?

पूर्व विधानसभा का सियासी इतिहास भी बड़ा रोचक है. 1972 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए ये सीट पश्चिम विधानसभा के मौजूदा विधायक तरुण भनोत के पिता कृष्ण अवतार भनोत ने जीती थी. इसके बाद 1977 में ये सीट जनता पार्टी के खाते में चली गई और कैलाश सोनकर ने जीत हासिल की. 1980 में माया देवी और 1985 में अच्छेलाल सोनकर की जीत के साथ कांग्रेस ने फिर इस सीट पर कब्जा कर लिया. साल 1990 के चुनावों में जनता दल के मंगल पराग ने जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया था. उसके बाद 1993, 1998, 2003 में अंचल सोनकर ने जीत की हैट्रिक लगाकर इसको बीजेपी का गढ़ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन 2008 में मौजूदा विधायक लखन घनघोरिया ने अंचल के विजयरथ पर ब्रेक लगा दिया.

पिछले चुनावों पर एक नजर

साल 2013 में एक बार फिर बीजेपी के अंचल सोनकर ने जीत हासिल कर यहां से चौथी बार विधायक बनने का कीर्तिमान बनाया. इस चुनाव में अंचल सोनकर को 67 हजार 167 वोट मिले, जबकि लखन घनघोरिया के पास 66 हजार 12 वोट आए. इस दौरान जीत के मार्जिन का आंकड़ा बहुत कम रहा.  महज 1,155 वोटों के अंतर से बीजेपी के अंचल ने जीत हासिल की थी. इसके बाद 2018 में कांग्रेस के लखन ने बड़ी जीत हासिल की. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पूर्व क्षेत्र से 11 उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस के लखन घनघोरिया और बीजेपी के अंचल सोनकर के बीच था. कांग्रेस के लखन को 90 हजार 206 वोट मिले तो, वहीं बीजेपी के अंचल के खाते में 55 हजार 70 वोट पड़े. लखन ने 35 हजार 136 मतों के अंतर से जीत दर्ज की. इस चुनाव में भी मुस्लिम मतदाताओं ने बड़ी भूमिका निभाई थी.

मतदाताओं का आंकड़ा

पूर्व विधानसभा क्षेत्र में कुल 2 लाख 40 हजार 699 मतदाता हैं, जिनमें 1 लाख 22 हजार 433 पुरुष और 1 लाख 18 हजार 266 महिला वोटर्स के साथ 35 अन्य वोटर्स हैं. इस आरक्षित विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण की बात की जाए, तो यहां अनुसूचित जाति के 22 फीसदी यानी तकरीबन 55 हजार मतदाता हैं. इनमें खटीक, चौधरी, वंशकार, जाट बाहुल्य स्थिति में है. इस विधानसभा में करीब 80 हजार मुस्लिम वोट है, जो निर्णायक भूमिका में हैं. इसके अलावा ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से रिटायर्ड कर्मचारियों ने भी इसी विधानसभा के अंतर्गत इलाकों में बस गए हैं. इसकी वजह से कई समुदायों के लोग यहां कॉलोनियों में बसे हुए हैं.

विधानसभा के 20 वार्डों में 10 पर बीजेपी का कब्जा

पूर्व विधानसभा क्षेत्र में चितरंजन, सुभाषचन्द्र बोस, लालबहादुर शास्त्री, डॉ. जाकिर हुसैन, ठक्करग्राम, राधाकृष्ण, गोविंददास, द्वारकाप्रसाद मिश्रा, आचार्य विनोबा भावे, खेरमाई, रविन्द्रनाथ टैगोर, महर्षि अरविंद, शीतलामाई, संजय गांधी, मदनमोहन मालवीय, जवाहरलाल नेहरू, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, शहीद अब्दुल हमीद और महेश योगी वार्ड आते हैं. पूर्व विधानसभा के इन 20 वार्डों के पार्षदों की बात करें तो 10 वार्डों में बीजेपी के पार्षद हैं, वहीं 7 वार्डों में कांग्रेस के पार्षद काबिज हैं. इसके अलावा 2 पार्षद एआईएमआईएम पार्टी से हैं. एक वार्ड में निर्दलीय पार्षद है, जो कांग्रेस में शामिल हो चुका है.

एआईएमआईएम की एंट्री ने बदला सियासी समीकरण

साल 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने यहां से मुस्लिम मतदाताओं के सहारे बड़ी जीत हासिल की थी,लेकिन पिछले साल हुए नगर निगम के चुनावों में दो पार्षदों की जीत के साथ उभरकर आई ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम खेल बिगाड़ने की ताकत रखती है. कांग्रेस इस पर बड़ी बारीकी से मंथन कर रही है. वहीं बीजेपी इससे उत्साहित है. पूर्व क्षेत्र में सक्रिय एआईएमआईएम के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इशारों में बता दिया है कि पार्टी यहां से पूरी ताकत झोंक रही हैं. एआईएमआईएम से टिकट पाने के इच्छुक उम्मीदवार छोटे-छोटे कार्यक्रमों में शिरकत कर लोगों से मेल-मुलाकत कर रहे हैं. 

ये भी पढ़ें: MP Politics: कांग्रेस की 'जन आक्रोश यात्रा' पर CM शिवराज का तंज, बोले- 'हमें आशीर्वाद मिल रहा है इसलिए...'

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