MP Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में एक और अधिकारी बीजेपी के सामने टिकट के दावेदार बनकर खड़े हो गए हैं. उन्होंने सरकारी नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (Voluntary Retirement) का आवेदन देकर अनूपपुर जिले (Anuppur) की कोतमा विधानसभा (Kotma) सीट से टिकट मांगी है. वहीं, उनके इस दावे के बाद बीजेपी के स्थानीय नेताओं और संगठन में खलबली मची है. 


शिक्षा विभाग के सहायक संचालक डॉ. मदन कुमार त्रिपाठी की राजनीतिक गतिविधियों से संभाग का प्रशासनिक और राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है. शिक्षा विभाग के कर्मचारी-अधिकारी नए सहायक संचालक के कार्यालय में नहीं बैठने, प्रशासनिक और सरकारी काम करने कि जगह कोतमा में घूमने से परेशान हैं. उन पर वहां की राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लग रहे हैं. वहीं, सत्तारूढ़ दल के नेता खासतौर पर कोतमा विधानसभा सीट से टिकट के दावेदारों की नींद उड़ी हुई है,क्योंकि त्रिपाठी ने खुद को बीजेपी का प्रत्याशी बताते हुए क्षेत्र में चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है. 


बीजेपी जिला अध्यक्ष ने दी यह प्रतिक्रिया
सहायक संचालक डॉ. मदन तिवारी की राजनीतिक सक्रियता का मामला गरमाने के बाद अनूपपुर के बीजेपी जिला अध्यक्ष रामदास पुरी के भी सक्रिय होने की खबर है. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से मदन त्रिपाठी या अन्य किसी को भी पार्टी का प्रत्याशित घोषित किए जाने से इनकार किया. रामदास ने कहा कि पार्टी में टिकट का फैसला संसदीय दल करता है. अभी तक किसी भी दावेदार ने जिला संगठन के पास टिकट के लिए आवेदन नहीं किया है. 


नोटिस पीरियड से पहले प्रचार कर दिया शुरू
वहीं, डॉ मदन त्रिपाठी ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बेबाक ढंग से कहा कि वे कोतमा विधानसभा सीट से बीजेपी की टिकट के दावेदार हैं. उन्होंने अपने वीआरएस का आवेदन सरकार को देते हुए छुट्टी ले ली है. त्रिपाठी ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि अभी वह सिर्फ सरकारी योजनाओं का ही प्रचार कर रहे हैं. वीआरएस के नियम के तहत एक माह का नोटिस पीरियड 30 जून को खत्म हो जाएगा. इसके बाद वे खुलकर चुनाव प्रचार करेंगे.


अनूपपुर कलेक्टर आशीष वशिष्ठ ने स्थानीय मीडिया से मामले की जांच कराने और सिविल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर कार्रवाई प्रस्तावित किए जाने की बात कही है. प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक त्रिपाठी ने वीआरएस का आवेदन जिला शिक्षा केंद्र से उनके मूल शिक्षा विभाग में वापस किए जाने के बाद किया है.


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