MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के अंदर चुनावी समीकरण बिगड़ते दिख रहे हैं. दोनों पार्टियों में इन उलझे समीकरणों का नुकसान उन चेहरों को झेलना पड़ सकता है, जो पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. इस आंतरिक मतभेद का छतरपुर के बिजावर सीट पर पहली बार कांग्रेस से उतारे गए चरण सिंह यादव और महाराजपुर में बीजेपी की ओर से पहली बार टिकट लेकर आए कामाख्या प्रताप सिंह को कार्यकर्ताओं के बीच चल रही गुटबाजी का नुकसान झेलना पड़ सकता है.


दरअसल, बिजावर में बीजेपी प्रत्याशी राजेश शुक्ला के नाम की घोषणा के बाद से चुनावी समीकरण बदलने लगे हैं. वहीं दो दिन पहले कांग्रेस ऑफिस में चरण सिंह यादव का विरोध और बाहरी होने की बात चर्चा में रही. साथ ही कार्यकर्ताओं ने चरण सिंह के फोटो पर कालिख पोतकर टिकट बदलने की मांग की. इधर चंदला में बीजेपी उम्मीदवार दिलीप अहिरवार के खिलाफ राजेश प्रजापति ने मोर्चा खोल दिया है, ये पार्टी सहित संगठन के पदाधिकारियों पर आरोप तक लगाने लगे हैं. इस तरह से बीजेपी के चुनावी समीकरण नहीं बन पा रहे हैं. अगर समय रहते यह समीकरण नहीं बने तो इसका नुकसान नए चेहरों को भुगतना पड़ सकता है.


छतरपुर सीट का बिगड़ा सियासी समीकरण
वहीं महाराजपुर में बीजेपी ने कामाख्या प्रताप सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया गया है, लेकिन इनकी पकड़ ग्रामीण क्षेत्र में उतनी नहीं है जितनी इनके पिता भंवर राजा की है. कई गांव ऐसे हैं जहां लोग कामाख्या को जानते तक नहीं हैं. इधर कांग्रेस की ओर से नीरज दीक्षित को उम्मीदवार बनाया गया है. इसलिए यह चुनावी मुकाबला इन दो उम्मीदवारों के बीच होगा, लेकिन जिस उम्मीदवार ने विरोध को शांत नहीं कराया, उसे चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है.


वहीं छतरपुर विधानसभा सीट पर आलोक चतुर्वेदी उर्फ पच्चन चाचा को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है, लेकिन हाथी पर सवार होकर चुनावी मैदान में उतरे डीलमणि सिंह उर्फ बब्बूराजा इस बार पज्जन चाचा के लिए परेशानी की वजह बन सकते हैं. वे चुनाव जीतने के लिए अपने चुनावी समीकरण बिठाने में जुटे हुए हैं.


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