MP Assembly Elecitons: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में चुनावी बिसात बिछ गई है. नवंबर में विधानसभा की 230 सीटों पर मतदान कराए जाएंगे. यह चुनावी कई मायनों में रोचक होने जा रहा है. इस चुनाव में कई राजनीतिक परिवारों (Political Family) के सदस्यों के बीच ही प्रतिद्वंद्विता देखने को मिलेगी. बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों ने नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिया है. ऐसे में भाई-भाई, चाचा-भतीजा, जीजा-साली, सास-ससुर एक दूसरेे खिलाफ मैदान में हैं.
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा अपने भाई गिरिजाशंकर शर्मा का सामना कर रहे हैं. गिरिजाशंकर कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. गिरिजाशंकर हाल ही में कांग्रेस में शामिल हो गए थे. उधर, सागर में विधानसभा सीट पर कांग्रेस की निधि सुनील जैन का मुकाबला अपने देवर और मौजूदा बीजेपी विधायक शैलेंद्र जैन से है. निधि जैन, शैलेंद्र जैन के छोटे भाई सुनील जैन की पत्नी हैं. सुनील देवरी से कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं.
चाचा-भतीजे, देवर-भाभी के बीच होगा मुकाबला
एक अन्य पारिवारिक चुनावी लड़ाई में मौजूदा बीजेपी विधायक संजय शाह टिमरनी में अपने भतीजे अभिजीत शाह के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. अभिजीत कांग्रेस उम्मीदवार हैं. अभिजीत शाह दूसरी बार अपने चाचा के खिलाफ मैदान में उतर रहे हैं. उधर, डबरा सीट पर बीजेपी की पूर्व राज्य मंत्री इमरती देवी अपने रिश्तेदार और सुरेश राजे के खिलाफ खड़ी हुई हैं जो कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. इसी तरह देवतालाब में कांग्रेस ने पद्मेश गौतम को उनके चाचा गिरीश गौतम के खिलाफ मैदान में उतारा है.
संबंधों से ऊपर रख रहे सत्ता का खेल
उधर, रिश्तेदारों के बीच की चल रही चुनावी लड़ाई पर कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि अलग-अलग विचारधारा वाले लोग एक छत के नीचे रह सकते हैं और यही लोकतंत्र की खूबसूरती है. वहीं, राजनीतिक विश्लेषक आनंद पांडे बताते हैं कि ''यह विचारधारा की लड़ाई नहीं है, बल्कि एक पद और सत्ता पाने की लड़ाई है. राज्य में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर यह हो रहा है, जब करीबी रिश्तेदार और भाई राजनीति और सत्ता के खेल को अपने रिश्तों से ऊपर रख रहे हैं.''