MP Electricity News: मध्य प्रदेश की करीब साढ़े सात करोड़ आबादी को बिजली के बिल का फिर से करंट लगने वाला है. राज्य की बिजली कंपनियों ने साल भर के भीतर तीसरी बार बिजली का दाम बढ़ाने की तैयारी की है. एक यूनिट बिजली के दाम में 28 से 58 पैसे तक की बढ़ोतरी हो सकती है. राज्य की तीन बिजली कम्पनियों ने कमरतोड़ महंगाई के बीच आम उपभोक्ताओं पर नया बोझ डालने की तैयारी की है.


MP में उपभोक्ताओं को लग सकता है बिजली बिल का झटका


नए वित्तीय वर्ष के लिए बिजली कंपनियों ने बिजली की दरों को 8.71 प्रतिशत तक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है.  इसके लिए तीनों बिजली कम्पनियों ने विद्युत नियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर की थी जिसे आयोग ने स्वीकार कर लिया है. अगर आयोग इस याचिका की दरों को मान लेता है तो इस साल तीसरी बार बिजली के रेट बढ़ जाएंगे और प्रति यूनिट 28 से 58 पैसों की वृद्धि हो जाएगी. हालांकि अभी आम उपभोक्ताओं के दावे और आपत्तियों पर भी सुनवाई होगी और उसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा. 


प्रदेश की तीनों बिजली वितरण कंपनियों (पूर्व, मध्य और पश्चिम) की ओर से वित्तीय वर्ष 2022-2023 के लिए 48 हजार 874 करोड़ रुपए के फन्ड की जरूरत बताई गई है. इसमें सबसे अधिक 19 हजार 428 करोड़ रुपए ग्वालियर की पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी खर्च करेगी. वहीं सबसे कम खर्च जबलपुर की पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी करेगी. इस कंपनी के कार्यक्षेत्र में राज्य के 20 जिले शामिल हैं. कंपनियों ने याचिका में दावा किया है कि उन्हें खर्च के मुकाबले मौजूदा बिजली दर पर 3915 करोड़ रुपए कम राजस्व प्राप्त होंगे, जिसकी भरपाई के लिए बिजली की दरों में 8.71 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करनी ही होगी. 


बिजली मामलों के जानकार इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि अभी कंपनी की टैरिफ याचिका सामने नहीं आई है. इसी के बाद तय होगा कि उसने किस श्रेणी में कितनी बढ़ोतरी की है. औसतन 8.71 प्रतिशत को सभी श्रेणियों में समान रूप से मानें तो प्रति यूनिट 28 पैसे से 58 पैसे की बढ़ोतरी हो जाएगी. आयोग अगर बिजली की दरें बढ़ाने को राजी हो जाता है तो यह तीसरी बढ़ोत्तरी होगी. 17 दिसंबर 2020 को कंपनी ने बिजली की दरों में 1.98 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की थी. दूसरी बार 30 जून 2021 को 0.69 प्रतिशत दर बढ़ाई गई. अब बिजली की दरों में 8.71 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की तैयारी है.


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अगर बिजली की दरें बढ़ती हैं तो उपभोक्ताओं को एक साल में तीसरा झटका होगा. इससे पहले 17 दिसंबर 2020 को कंपनी ने बिजली की दरों में 1.98 प्रतिशत का इजाफा किया था. दूसरी बार 30 जून 2021 को 0.69 प्रतिशत दर बढ़ाई गई थी. बिजली कंपनियों की ओर से टैरिफ याचिका 1 दिसंबर को दायर की गई थी. इस पर 14 दिसंबर को प्रारंभिक सुनवाई हुई. तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की ओर से मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी ने सुनवाई में याचिका के पक्ष में जरूरी दस्तावेज पेश किए. 15 दिसंबर को नियामक आयोग ने टैरिफ याचिका स्वीकार कर ली है. अब आयोग की ओर से इसका प्रकाशन कराया जाएगा. फिर आम बिजली उपभोक्ताओं से दावे और आपत्ति ली जाएगी. 


बिजली क्षेत्र के एक्सपर्ट इंजीनियर राजेन्द्र अग्रवाल के मुताबिक मध्यप्रदेश में पड़ोसी राज्यों की तुलना में सबसे महंगी बिजली दी जा रही है. राज्य सरकार 100 यूनिट तक सब्सिडी देकर उपभोक्ताओं को राहत जरूर दे रही है, उसके ऊपर बिजली के दाम बहुत ज्यादा हैं. कंपनी अधिकारियों की मनमानी पर नकेल कसने में विफल रही है. 8.7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी आम उपभोक्ताओं के साथ-साथ उद्योगों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण होगी. उनकी सलाह है कि कंपनियों को दर बढ़ाने की बजाय अपनी कार्यदक्षता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए.