Surajpur News: कहा जाता है कि सरगुजा शब्द की उत्पत्ति 'स्वर्ग गजा' शब्द से हुई है. इसलिए मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का सरगुजा (Surguja) संभाग हाथियों के लिए स्वर्ग के समान है, क्योंकि सरगुजा में विचरण कर रहे हाथी (Elephant) पड़ोसी जिलों में घूम-फिर कर वापस यहां के जंगलों में ही पहुंच जाते हैं. इससे संभाग के सूरजपुर और सरगुजा जिले समेत दूसरे जिले के कई इलाके हमेशा हाथियों की दहशत में रहते हैं. मौजूदा मामला भी हाथी के हमले का है, जिसमें दो बुजुर्ग लोगों ने दम तोड़ दिया है. हाथियों की इस खौफनाक हरकत से इंसान दहशत के साए में जीने को मजबूर हैं.

 

सरगुजा संभाग के सूरजपुर जिले के प्रेमनगर रेंज में बीती रात 11 हाथियों के दल ने दस्तक दी और दो अलग-अलग गांवों में दो लोगों की जान ले ली. इनमें जनार्दनपुर की 70 साल की महिला रायमति और अभयपुर के 70 साल के बुजुर्ग मनबोध गोंड शामिल हैं. हालांकि, हाथियों के गांव के जंगल में आने की खबर वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने ग्रामीणों को दे दी थी. साथ ही जंगल में नहीं जाने की समझाइस भी दी थी, लेकिन रेंज के अभयपुर गांव के 70 साल के बुजुर्ग ने किसी की नहीं सुनी. वे गांव के जंगल में बने चबूतरे में पूजा करने लगे. इस दौरान वन अधिकारी पंकज झा ने जान जोखिम में रखकर बुजुर्ग को वहां से हटाने का प्रयास किया, लेकिन हाथियों को नजदीक आता देख उन्हें भागना पड़ा.

 


 

सरगुजा-सूरजपुर की सरहद पर घूम रहा है हाथियों का दल

 

इसके बाद हाथियों ने बुजुर्ग मनबोध को बुरी तरह कुचल दिया. इसी तरह पड़ोस के दूसरे गांव जनार्दनपुर में भी हाथियों ने 70 साल की रायमती को भी हाथियों ने बीती रात बुरी तरह कुचल दिया, जिससे उनकी मौत हो गई. इलाके में दहशत फैलाने वाला 11 हाथियों का दल कोरबा जिले से विचरण कर सूरजपुर के प्रेमनगर रेंज में दाखिल हुआ है, जिससे रेंज के करीब आधा दर्जन गांव के लोग दहशत के साए में रतजगा करने को मजबूर हैं. इसके अलावा हाथियों के दहशत वाले सूरजपुर के गांव सरगुजा (अम्बिकापुर) जिले की सरहद पर है. इसलिए दहशत का ये आलम सरगुजा जिले के गांवों में भी है, क्योंकि 11 हाथियों का दल लगातार सरगुजा-सूरजपुर की सरहद पर घूम रहा है.

 

ड्राइवरों की हड़ताल बढ़ीं मुश्किलें

 

लिहाज़ा सरगुजा जिले का वन अमला और ग्रामीण हाथियों को इधर न आने देने के लिए मुस्तैद हैं. हालांकि, वन अमले के सामने सबसे बड़ी चुनौती ड्राइवरों की हड़ताल है, जिसकी वजह से गजराज वाहन की मदद नहीं ली जा सकी है. गौरतलब है कि गजराज वाहन हाथियों से निपटने के लिए आधुनिक सामानों से लैस रहता है, ऐसे में फिलहाल हाथियों को रोक पाना वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती है.