Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के किसानों को अब सरकार के समर्थन मूल्य से परहेज होने लगा है. बीते दो सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो 10 लाख से अधिक किसानों ने समर्थन मूल्य का लाभ लेने के लिए पंजीयन नहीं कराया है. पंजीयन में घटी किसानों की संख्या के पीछे की वजह बाजार में गेहूं के अधिक भाव और समर्थन मूल्य खरीदी में आधार वेरीफिकेशन अनिवार्यता बताया जा रहा है. बता दें कि अपनी गेहूं की उपज के सही दाम के लिए सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों की उपज खरीदी जा रही थी. साल 2018-19 में 15 लाख 1756 किसानों ने इस योजना का लाभ लिया था, जिसके लिए बकायादा पंजीयन कराया था.


साल 2019-20 में पंजीयन की यह संख्या 19 लाख 98 हजार 437 थी, जबकि साल 2020-21 में 19 लाख 47 हजार 829, 2021-22 में 24 लाख 72 हजार 746 किसानों ने पंजीयन कराया था. वहीं साल 2022-23 में 19 लाख 81 हजार 542 और साल 2023-24 में 14 लाख 67 हजार किसानों ने ही समर्थन मूल्य के लिए पंजीयन कराया है. बीते दो साल में पंजीयन की यह संख्या में 10 लाख से अधिक घट गई है. 


जब एमपी ने पंजाब को पीछे छोड़ा था


साल 2021-22 में समर्थन मूल्य के लाभ के मामले में 24 लाख 72 हजार किसानों ने सरकार के समर्थन मूल्य का लाभ लेने के लिए पंजीयन कराया था. उस समय सरकार ने रिकॉर्ड 129 लाख टन गेहूं की खरीदी की थी. सरकार की इस खरीदी ने पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया था. लेकिन बाद में सरकार ने पंजीयन का लाभ लेने के लिए व्यवस्था में बदलाव किया. सरकार ने आधार के साथ पंजीयन और खाते को जोड़ दिया.


साथ ही उन्हीं खातों में भुगतान की बात कही, जो आधार से लिंक हो. इस व्यवस्था के बाद साल 2022-23 में पंजीयन कराने में किसानों ने रुचि नहीं दिखाई. साल 2022-23 में 4 लाख 90 हजार किसान घटे, जबकि साल 2023-24 में तो पंजीयन की यह संख्या 5 लाख 14 हजार और कम हो गई. 


बाजार के भाव के कारण ऐसा हुआ


खाद विभाग के संचालक दीपक सक्सेना के अनुसार बाजार में गेहूं के अच्छे भाव मिल रहे हैं. इस कारण से भी समर्थन मूल्य पंजीयन की संख्या में कम आई है. इसी तरह खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम मध्य प्रदेश के एमडी तरुण पिथोड़े के अनुसार नौ जिलों में पंजीयन के आंकड़ों की पड़ताल की जा रही है. यह 15-20 दिन में हो जाएगा.


इसके बाद ही पंजीयन कराने वाले किसानों की सही संख्या सामने आएगी. बता दें कि मध्य प्रदेश के जिन जिलों की गेहूं की बंपर पैदावार होती है उनमें विदिशा, नर्मदापुरम, सतना, उज्जैन, धार, जबलपुर, सिवनी, रीवा और सागर शामिल है. इन जिलों में सरकार द्वारा सैटेलाइट इमेज से खेती के रकबे का आंकलन हो रहा है.


ये भी पढ़ें:  Indore News: रंग पंचमी पर बेटे ने खेली खूनी होली, शराब के नशे में पिता को उतारा मौत के घाट