MP News: मध्य प्रदेश में खाद की किल्लत से अन्नदाता किसान परेशान है. पर्याप्त मात्रा में किसानों को खाद नहीं मिल पा रहा है तो उन्हें महंगे दामों पर अपनी जरूरतें पूरी करना पड़ रही हैं. इस बीच बीजेपी और कांग्रेस नेता एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं. कांग्रेस के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने राज्य सरकार को खाद की परेशानी पर घेरा. वहीं वर्तमान सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल ने बयान जारी कर कहा कि किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है. 


पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री ने लगाया बीजेपी पर आरोप
पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि कुछ दिनों पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान का बड़ा भारी भाषण था कि मध्य प्रदेश में किसान भाईयों को खाद की कमी नहीं आने दूंगा. प्रचुर मात्रा में खाद का भंडारण कर लिया गया है. तमाम आर्डर कर रखे हैं. इसलिए किसान निश्चित होकर खेती का काम करें, लेकिन अब हालात यह है. पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि जब देवास में अफसरों से पूछा कि देवली में कितना खाद आया? अफसरों ने बताया कि 20 टन, इसके साथ ही अफसरों ने यह भी बताया कि 300 टन खाद की डिमांड भेजी थी. यदि 20 टन हम बाट देते तो किसान हमको मारता, क्योंकि यह डिमांड ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. खाद की कालाबाजारी बीजेपी का एक-एक आदमी कर रहा है. किसान को एक बोरी मुश्किल से मिल रही है. एमपी में किसानों के बुरे हालात हैं. 


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कृषि मंत्री ने साधा कांग्रेस पर निशाना
सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल ने एक बयान जारी किया है. जिसमें उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों को घबराने की जरूरत नहीं हे. उनको मिलने वाला उर्वरक उनको ही मिलेगा ही. कृषि मंत्री कमल पटेल ने किसानों से अपील की है कि अगर कहीं पर यूरिया डीएपी की कालाबाजारी हो रही है तो किसान कमल सुविधा केन्द्र के फोन नंबर 0755-2558823 पर शिकायत करें. उनकी शिकायत पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा. इस दौरान मंत्री पटेल ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस नेता भ्रम फैला रहे हैं कि प्रदेश में किसानों को यूरिया और डीएपी की किल्लत हो रही है, जबकि ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि कमलनाथ और उनकी मंडली किसानों में भ्रम फैलाकर ही सत्ता पर काबिज हुई थी. झूठ, छलावा, धोखाधड़ी कांग्रेस के जींन में है, लेकिन झूठ बोलकर बनी सरकार 15 महीने में ही गिर गई. कमलनाथ और कांग्रेस नेताओं के झूठे वादे के कारण प्रदेश के लाखों किसान डिफाल्टर हो गए और कर्ज में डूब गए.