MP: एमपी में सख्त नियमों की वजह से खुले में अनाज बेचने को मजबूर किसान, खरीद केंद्रों पर छाया सन्नाटा
MP News: गेहूं खरीदी के सख्त नियमों की वजह से किसान खुले में अनाज बेचने को मजबूर हो गया है. इस वजह से खरीद केंद्रों पर सन्नाटा छाया हुआ है. किसान अपना गेहूं लेकर दर-दर भटक रहा है.
MP Latest News: मध्य प्रदेश में एमएसपी पर गेंहू खरीदी का आंकड़ा बेहद खराब चल रहा है. सरकार ने लोकसभा चुनाव के बीच गेहूं खरीदी शुरू तो कर दी, लेकिन प्रशासन किसानों को खरीदी केंद्र तक लाने में सफल नहीं हो पा रहा है. नतीजा यह है कि प्रदेश में टारगेट से 10 फीसदी गेहूं की खरीदी भी अब तक नहीं हो पाई है.जबलपुर जिले में तो हालात और खराब हैं. किसान खरीदी केंद्र में हो रही परेशानी को देखते हुए घाटे में खुले बाजार में गेहूं बेचने को मजबूर हो गए हैं.
दरअसल, कभी किसानों की चहलकदमी से गुलजार रहने वाले जबलपुर के गेंहू खरीदी केंद्र इस बार सुनसान पड़े हुए हैं. किसानों का कहना है कि इस बार गेहूं खरीदी के लिए प्रशासन ने सख्त नियम बना दिए हैं. गेहूं की गुणवत्ता की बारीकी से जांच की जा रही है. अगर गेंहूं में 1फीसदी से ज्यादा मिट्टी होती है तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है. इस बार बेमौसम बारिश ने गेहूं की फसल को काफी हद तक खराब कर दिया है. अब किसान अपना गेहूं लेकर दर-दर भटक रहा है. लेबर ना मिलने और 20 रुपये प्रति क्विंटल छनवाई का लगने के कारण किसान सरकारी केंद्र पर गेहूं नहीं बेच पा रहा है.
गुणवत्ताहीन गेहूं को खरीदने की मनाही
वही,खरीदी केंद्रों के कर्मचारियों का कहना है कि इस बार प्रशासन ने गुणवत्ताहीन गेहूं को खरीदने से सख्त मना किया है. केवल उच्च गुणवत्ता वाला गेहूं ही खरीदे जाने के दिशा-निर्देश हैं. गेहूं खरीदी कम होने की वजह से वेयरहाउस संचालक भी बेहद परेशान है. वेयरहाउस संचालक सुशील शर्मा का कहना है कि इस बार 10 फीसदी वेयरहाउस भरना भी मुश्किल हो गया है. ऐसे में उनके सामने खर्चा निकालने की मुश्किल तो है ही साथ ही वेयरहाउस में अगर गेहूं नहीं भरा गया तो किराया भी मिलना मुश्किल हो जाएगा.
खुले बाजार में गेहूं बेच रहा किसान
एक तरफ सरकारी गेहूं खरीदी केंद्रों में सन्नाटा पसरा हुआ है, तो वहीं दूसरी तरफ जबलपुर की कृषि उपज मंडी में रोजाना सैकड़ो की संख्या में किसान गेहूं लेकर पहुंच रहे हैं.पहली बार ऐसा हुआ है, जब किसान समर्थन मूल्य में गेहूं बेचने की बजे खुले बाजार में गेहूं बेचना ज्यादा पसंद कर रहा है. कृषि उपज मंडी आए किसानों ने बताया कि खरीदी केंद्रों में इस बार प्रशासन ने गुणवत्ता को लेकर इतनी सख्त नियम बना दिए हैं कि अधिकांश किसानों का गेहूं रिजेक्ट कर दिया जा रहा है. ऐसे में अब किसान मजबूरी में 200 से 300 रुपये कम में खुले बाजार में अपना गेहूं बेच रहे हैं.
57 हजार किसानों ने कराया था पंजीयन
बता दें कि, जबलपुर जिले में इस बार गेहूं खरीदी के लिए करीब 57 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था.पिछले साल की तुलना में बोवनी के रकबे में 1900 और पंजीकृत रकबे में 1600 हेक्टेयर की कमी आई है.पंजीकृत किसानों की संख्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने इस बार 138 खरीदी केंद्र बनाए है. इसमें से 105 खरीदी केंद्रो में गेहूं खरीदी शुरू हो गई है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की केवल 25 गेहूं खरीदी केंद्रों में ही किसान गेहूं बेचने आया है. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक केवल 9570 किसानों ने ही स्लॉट की बुकिंग कराई है.4380 किसानों से अभी तक केवल 46 हजार 360 मेट्रिक टन गेहूं ही खरीदा जा सका है जबकि प्रशासन का टारगेट 4 लाख 50 हजार मेट्रिक टन से ज्यादा गेहूं खरीदी का है.
वही, गेहूं खरीदी को लेकर जबलपुर के कलेक्टर दीपक सक्सेना बेफिक्र नजर आ रहे है. उनका कहना है कि किसानों को बाजार में ज्यादा दाम मिल रहे हैं. इसलिए वे बाजार में गेंहू बेच रहे है.सरकार के पास पीडीएस सहित बाकी जरूरत के लिए पर्याप्त गेंहू का स्टॉक है.
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