मध्य प्रदेश में किसान सोयाबीन की फसल को लेकर चिंतित हैं. बारिश थम भी गई लेकिन वहीं अब सोयाबीन की फसल पर यलो मोजेक का खतरा मंडराने लगा है. खेतों में खड़ी सोयाबीन फसल पीली पड़ने लगी है. उसके पत्तों में छेद नजर आने लगे हैं. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. सीहोर जिले के ग्राम झरखेड़ा पालखेड़ी नादान में दो दर्जन से अधिक किसानों की सोयाबीन की खेती तो पीला मोजेक रोग से चौपट हो गई है. 


किसान इस समय इस बीमारी को लेकर चिंतित हैं. ग्राम झरखेड़ा के किसान शिव प्रसाद पाटीदार ने बताया कि करीब नौ एकड़ से अधिक जमीन पर उन्होंने सोयाबीन की खेती की थी. फसल कुछ दिनों पहले अच्छी थी लेकिन पिछले दिनों बारिश के बाद धूप आदि मौसम में हुए परिवर्तन के कारण अब फसल चौपट हो गई है. उन्होंने बताया कि क्षेत्र के चंदू, हरि देशवाली चंद्र खेखर पाटीदार और शिव प्रसाद आदि की फसल खराब हो गई है.


वहीं दोराहा, श्यामपुर, इछावर सहित अन्य ब्लाक के किसानों का कहना है कि बारिश के बाद मौसम साफ होने पर खेतों में नमी की मात्रा संतुलित हो गई है. लेकिन खेतों में खड़ी सोयाबीन पर पीला मोजेक रोग का प्रकोप शुरू हो गया है.


इस संबंध में किसानों का कहना है कि रोग से फसल बर्बाद हो जाएगी और उत्पादन नहीं होगा. वहीं कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पीला मोजेक रोग लगता है तब कुछ पौधों में चितकबरे गहरे हरे पीले धब्बे दिखाई देने लगते हैं. पौधे ऊपर से पीले हो जाते हैं और यह देखते ही देखते पूरे खेत में फैल जाता है. इससे पौधे सिकुड़ जाते हैं. खरीफ सीजन की फसल के अंकुरित होते ही करीब एक महीने से लगातार बारिश हो रही थी. इससे फसल पीली हो गई है. किसानों के पास जुताई और कीटनाशक छिड़काव के लिए भी समय नहीं था.


इस बीच सोयाबीन अभी भी बढ़ रहा है लेकिन पीले मोज़ेक वायरस की बढ़ती घटनाओं के कारण, सोयाबीन पीले पड़ रहे हैं. भविष्य में फली नहीं लगेगी. पिछले दिनों जब भारी बारिश हुई तो नदी और नालों में बाढ़ आने लगी.


इस कारण कई खेतों में पानी भर गया था कई जगह दो तो कुछ खेतों में चार से पांच दिन तक भी पानी भरा रहा था. इसका कारण यह रहा कि चारों तरफ पानी भराव होने से इसकी निकासी नहीं हो पा रही थी. अब यहां पर सोयाबीन के पौधों में लगी फलियां गिरने लगी हैं.लगातार हुई बारिश और जलभराव के कारण पानी निकासी का उचित प्रबंधन नहीं हो सका. इस कारण सोयाबीन के पौधों की जड़ों में पर्याप्त वायु संचार नहीं हुआ और पौधा कमजोर हो गया.इस स्थिति में पत्तियों तथा फलियों पर हल्के बैंगनी रंग के धब्बे बन जाते हैं.


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