MP Soyabean MSP Rate: मध्य प्रदेश में सोयाबीन को किसानों का सोना कहा जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों से सोयाबीन के दाम नहीं बढ़ने की वजह से यह घाटे की फसल साबित हो रही थी. इस बार सरकार ने समर्थन मूल्य को निर्धारित करते हुए किसानों को बड़ी राहत पहुंचाने का काम किया है. 


मध्य प्रदेश में किसानों को लेकर लंबे समय से बीजेपी और कांग्रेस के बीच सियासत होती आई है. कांग्रेस का कहना है कि सोयाबीन के दाम को लेकर 6000 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य लागू होना चाहिए, जबकि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने 4892 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर सोयाबीन खरीदने की एमएसपी लागू होने की बात कही है.


इस राजनीति के बीच किसानों से एबीपी न्यूज़ में बातचीत की तो उन्होंने अपनी अलग ही कहानी बयां कर दी. चिंतामण जवासिया के किसान विजय पटेल ने बताया कि सरकार द्वारा 4892 रुपये प्रति क्विंटल का जो भाव तय किया है, वह उचित है. अभी वर्तमान में सोयाबीन की फसल 3500 रुपये से 4000 रुपये प्रति क्विंटलल तक बिक रही थी. उन्होंने बताया कि समर्थन मूल्य उचित है. किसानों को इससे नुकसान नहीं होगा.


सोयाबीन 6000 रुपये तक पहुंचाना आवश्यक
एक अन्य किसान अर्जुन आंजना ने कहा कि सोयाबीन के दाम वर्तमान में 6000 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए. किसान का कहना है कि साल 2012 से अभी तक सोयाबीन के दाम नहीं बढ़े हैं, जबकि बाजार में सभी वस्तुओं के दाम लगभग दो गुना तक पहुंच गए हैं. ऐसी स्थिति में सोयाबीन के दाम 6000 रुपये होना चाहिए. हालांकि अर्जुन का कहना है कि वह सरकार द्वारा तय किए गए समर्थन मूल्य का भी स्वागत करता है.


एक बीघा में आता है 9000 रुपये का खर्च
किसान विजय पटेल का कहना है कि एक बीघा जमीन पर सोयाबीन की फसल लेने में लगभग 9000 रुपये का खर्च आता है, जबकि मौसम साथ दे तो ढाई से तीन क्विंटल सोयाबीन की पैदावार हो जाती है. छोटे किसान को सोयाबीन से काफी उम्मीद रहती है. वर्तमान में कई मंडियों में 3500 रुपये क्विंटल सोयाबीन बिक रही थी, जिससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा था.


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