MP Forest News: वन माफिया और बदमाशों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि वन कर्मचारियों पर प्राणघातक हमला करने के बाद अब वन चौकी में रखी सरकारी बंदूकें भी लूट ली गईं. अपराधियों के बुलंद हौसलों से वनकर्मी अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. इसे लेकर वन कर्मचारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में मांग की गई है कि वन कर्मियों को सरकारी बंदूक सहित इसे चलाने की अनमुति दी जाए.


दिया जाए बंदूक चलाने का अधिकार


वन कर्मचारियों ने सीएम को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि प्रदेश के 19 हजार कार्यपालिक वन कर्मचारियों की जान खतरे में है. बुरहानपुर, खंडवा, शिवपुरी, गुना, सतना, मुरैना में वन कर्मचारियों पर प्राणघातक हमला करने के बाद से वन माफियाओं के हौसले और बुलंद हो गए. बीते दिन वन अपराधियों ने वन भूमि पर अतिक्रमण करने से रोकने के कारण बुरहानपुर वन मंडल के बाकड़ी वन चौकी में रखी वन विभाग की सरकारी बंदूकें ही लूट ली. यह सब इस कारण हो रहा है क्योंकि सरकार एक तरफ वन अपराधियों की मृत्यु पर उन्हें 25 लाख का मुआवजा दे रही है और उनके परिवार को अनुकंपा नियुक्ति दे रही है. वन कर्मचारियों को ना तो बंदूक का लाइसेंस दे रही है और ना ही बंदूक चलाने का अधिकार दे रही है. इस कारण वन कर्मचारी निहत्था वनों की रक्षा करते हुए अपनी जान की बाजी लगा रहा है.


सुरक्षा के लिए बंदूक जरुरी


वन कर्मचारी मंच ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर मांग कि है कि पूरे प्रदेश के 19 हजार कार्यपालिक वन कर्मचारियों को सरकारी बंदूकें दी जाए. साथ ही बंदूक चलाने का अधिकार और हथियार का लाइसेंस दिया जाए ताकि वह अपनी जान और वनों की रक्षा कर सकें. साथ ही उन्होंने बाकडी कांड के आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग की. वन कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि वन कर्मचारियों की सुरक्षा की चिंता ना सरकार कर रहा है और ना ही विभाग कर रहा है. अतिक्रमणकारी, वन अपराधी, शिकारी, वन माफिया, लकड़ी तस्कर वन कर्मचारियों पर निडर होकर हमला कर रहे हैं.


अब तक 54 कर्मचारियों की शहादत


वन कर्मचारियों ने बताया कि प्रदेश में अब तक 54 वन कर्मचारियों की शहादत हो चुकी है. इन शहादतों के बाद सरकार वन कर्मचारियों की सुरक्षा की कोई ठोस नीति आज तक नहीं बनाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रेंजर से लेकर वनरक्षक तक के वन कर्मचारियों को आधुनिक हथियार दिए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने हथियार के लाइसेंस और इसे चलाने के अधिकार दिया जाने की बात कही थी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वायरलेस सुविधा उपलब्ध कराई जाए, बुलेट प्रूफ जैकेट दी जाए, वाहन सुविधा उपलब्ध कराई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इने आदेशों के बाद भी सरकार ने वन कर्मचारियों की सुरक्षा की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया.


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