(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
एमपी सरकार के पूर्व मंत्री कमल पटेल बने बैतूल सांसद प्रतिनिधि, विपक्ष ने साधा बीजेपी पर निशाना
Harda MP Representative: केंद्रीय मंत्री दुर्गा दास उइके ने हरदा में नया सांसद प्रतिनिधि नियुक्त किया है. विपक्ष ने बीजेपी के एक दिग्गज नेता को सांसद प्रतिनिधि नियुक्त किए जाने पर सवाल खड़ा किया है.
MP News Today: बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान सरकार में मंत्री रहे कमल पटेल को मिली नई जिम्मेदारी इन दिनों खूब सुर्खियों बटोर रही है. दरअसल, हरदा से पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री कमल पटेल को केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गा दास उइके ने हरदा जिले का सांसद प्रतिनिधि नियुक्त किया है.
पूर्व मंत्री कमल पटेल ने बैतूल सांसद दुर्गा दास उइके के इस प्रस्ताव को सहज स्वीकार भी कर लिया है. इससे पहले सांसद प्रतिनिधि का पद हरदा नगर पालिका अध्यक्ष भारती राजू कमेडिया के पति के पास था, वह जिला योजना समिति की बैठकों का संचालन कर रहे थे.
कमल पटेल बने सांसद प्रतिनिधि
इसके बाद अब यह पद हरदा के पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री कमल पटेल को दिया गया है. पूर्व मंत्री कमल पटेल अब जिला योजना समिति की बैठकों में सम्मिलित हो सकेंगे. विपक्ष ने कमल पटेल की इस नियुक्ति पर सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया है.
विपक्षी नेताओं का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी में अंदरूनी कलह चल रही है. इसकी वजह से पूर्व मंत्री कमल पटेल जैसे वरिष्ठ नेता को कम प्रतिष्ठित पद दे दिया गया है.
दो बार मंत्री रह चुके पटेल
मालूम हो कि हरदा से वरिष्ठ नेता कमल पटेल प्रदेश सरकार में दो बार मंत्री रह चुके हैं. बाबूलाल गौर की सरकार में पटेल 1 जून 2005 को चिकित्सा शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और प्रशिक्षण का राज्य मंत्री बनाया गया था. बाद में उन्हें कैबिनेट मंत्री के पद पर पदोन्नत कर दिया गया था.
इसी तरह मध्य प्रदेश में पूर्व शिवराज सिंह चौहान अगुवाई वाली सरकार में भी कमल पटेल को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में उन्हें 21 अप्रैल 2020 को राजस्व, धार्मिक ट्रस्ट और बदोबस्ती और पुनर्वास विभागों का प्रभार दिया गया.
कमल पटेल का सियासी करियर
पूर्व मंत्री प्रहलाद पटेल 5 बार विधायक निर्वाचित हो चुके हैं. इसके उलट 2 बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. साल 1989 में वह मध्य प्रदेश बीजेपी राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य बने. 1993 में हरदा से विधायक निर्वाचित हुए. इसके बाद 1998, 2003 में विधायक निर्वाचित हुए.
साल 2005 में पहली बार वह मंत्री बने. साल 2008 में फिर विधायक निर्वाचित हुए और 2009 में कैबिनेट मंत्री बने. 2013 में चुनाव हार गए. साल 2018 में फिर विधायक निर्वाचित हुए, जबकि 2023 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
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