MP Fraud Case: CBI के नाम पर फेक गिरफ्तारी नोटिस भेजकर व्यापारी से 2 करोड़ रुपये की ठगी, यूपी-बिहार के 5 आरोपी गिरफ्तार
MP Ujjain Fraud Case: उज्जैन से ठगी करने का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. इस मामले में पुलिस ने पीड़ित एक व्यापारी की तहरीर पर इस गैंग का खुलासा किया. पुलिस आगे की कार्रवाई में जुट गई है.
MP Ujjain Fraud News: मध्य प्रदेश की उज्जैन पुलिस ने सीबीआई के नाम पर करोड़ों की जालसाजी करने वाले पांच सदस्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है. सभी आरोपी उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं. आरोपी सीबीआई का डर दिखाकर कर फर्जी अरेस्टिंग के नाम पर करोड़ों की ठगी करते थे.
पुलिस ने इस मामले में जांच के बाद आरोपियों के 40 बैंक खातों का पता लगाया है. इसके अलावा उनके पास से 10 मोबाइल फोन भी बरामद हुआ है. उज्जैन पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने बताया कि इस मामले में उज्जैन के रहने वाले राजकमल नाम के व्यापारी (परिवर्तित नाम) की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई थी.
डिजिटल नोटिस भेज धमका रहे थे आरोपी
उज्जैन पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पीड़ित को कुछ लोग सीबीआई अधिकारी बनकर जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल के जरिए किए गए फ्रॉड की राशि उनके खाते में आने की बात कहकर लगातार धमका रहे थे.उन्होंने बताया कि इस दौरान आरोपियों ने पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट का नोटिस भी भेजा.
जिसके बाद फरियादी ने डर की वजह से आरोपियों के खाते में दो करोड़ रुपये की राशि आरटीजीएस कर दी. यह आरटीजीएस पंजाब नेशनल बैंक की शाखा नालंदा बिहार में किया गया. आरोपियों द्वारा व्यापारी को यह बताया गया कि जब नरेश गोयल का मामला सुलझ जाएगा तो उनकी राशि वापस लौटा दी जाएगी.
पुलिस ने इन आरोपियों को किया गिरफ्तार
पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने बताया कि इस मामले में फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए बिहार नालंदा के मुकेश कुमार, अमरेंद्र कुमार, शाहनवाज आलम के साथ उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के अनिल कुमार यादव और शरद पांडे को गिरफ्तार किया गया है. आरोपियों से वारदात में इस्तेमाल 10 मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं, इसके अलावा उनसे 40 फर्जी बैंक खातों का भी पता चला है.
रौब झाड़ने के लिए फेक मोनो का इस्तेमाल
पीड़ितों पर रौब झाड़ने के लिए आरोपियों के जरिये अपने मोबाइल पर सीबीआई और महाराष्ट्र पुलिस का मोनो लगाया जाता था. आरोपियों ने ठगी की वारदात को अंजान देने के लिए बिहार में मुकेश इंटरप्राइजेज के नाम से खाता खुलवाया था.
इन खातों का इस्तेमाल आरोपी मुकेश के जरिये अपने दोस्त अमरेंद्र कुमार, अनिल कुमार यादव से करवाया जाता था. ठगी की राशि का 4 से 5 फीसदी हिस्सा अनिल और अमरिंदर को दिया जाता था. आरोपी अनिल और अमरेंद्र की पहचान एक दूसरे से साल 2022 में कानपुर जेल में हुई थी.