MP News: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की आलोट तहसील के कांग्रेस विधायक मनोज चावला की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. विधायक चावला कांग्रेस के चार नेताओं को जेल भिजवाने वाले शासकीय कर्मचारी भगतराम ने खाद के गोदाम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. इस घटना को लेकर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. पूरे मामले की बारीकी से जांच की जा रही है.
रतलाम एसपी अभिषेक तिवारी ने बताया कि नवंबर 2022 में आलोट में खाद के गोदाम को लूटने का मामला सामने आया था. इस मामले में गोदाम के कर्मचारी भगतराम की ओर से आलोट थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. इस मामले में कांग्रेस के विधायक मनोज चावला सहित चार आरोपी जेल में हैं. उन्होंने बताया कि देर रात भगतराम में खाद के गोदाम में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. इस बात की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दरवाजा तोड़कर शव को बाहर निकाला. इस मामले में सभी बिंदुओं पर बारीकी से जांच की जा रही है. इसके अलावा परिजनों से भी मौत का कारण पता लगाया जा रहा है. घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है.
परिजनों ने अभी साध रखी है चुप्पी
आलोट पुलिस के मुताबिक अभी मृतक के परिजनों के बयान नहीं हो पाए हैं. उनका पुत्र आलोट से बाहर रहता है, जिसे घटना की जानकारी देने के बाद आलोट बुलवा लिया गया है. दूसरी तरफ मृतक की पत्नी के भी बयान नहीं हो पाए हैं. पूरा परिवार गमगीन है. परिवार के सदस्यों के बयान सामने आने के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी.
दस्तावेज उपलब्ध कराए कोई परेशानी नहीं बताई
रतलाम पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने बताया कि भगत राम ने खाद लूटकांड में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया था. उन्हें मुख्य फरियादी बनाते हुए पुलिस ने जब भी उनसे जो दस्तावेज मंगवाए, उन्होंने तुरंत उपलब्ध करा दिए. पुलिस कप्तान ने इस बात से भी इनकार किया है कि भगतराम को किसी से भय था. हालांकि पुलिस सभी बिंदुओं पर जांच कर रही है.
कांग्रेस विधायक मनोज चावला की मुश्किलें बढ़ी
कांग्रेस विधायक मनोज चावला की उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर से भी जमानत खारिज हो चुकी है. पुलिस के मुताबिक खाद लूटकांड में अभी चालान पेश होना भी बाकी है. कानून के जानकार बताते हैं कि अगर किसी मामले में फरियादी का निधन हो जाता है तो उसके आखिरी बयान या एफआईआर को ही सही मानते हुए कार्रवाई होती है. अगर भगतराम जिंदा होते तो उनसे न्यायालय में क्रॉस परीक्षण भी हो सकता था लेकिन अब उनके अंतिम कथन और एफआईआर को ही सत्य मानते हुए वाद चलेगा. ऐसे में यह भी माना जा सकता है कि विधायक मनोज चावला की मुश्किल भविष्य में और भी बढ़ेगी.
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