MP High Court News: मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के संबंध में राज्य शासन ने नए नियम तय किया है.अब सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. बुधवार (20 मार्च) को इस केस की प्राम्भिक सुनवाई के बाद जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस एके पालीवाल की खंडपीठ ने शासन से जवाब पेश करने कहा है.


इसके मामले में राज्य सरकार की ओर से अंडरटेकिंग दी गई कि अगली सुनवाई तक नए नियम लागू नहीं किए जाएंगे.मामले पर अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी. लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की ओर से यह याचिका दायर की गई है. 


नर्सिंग शिक्षण संस्थाओं के लिए बदले गए नियम
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीपक तिवारी ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार द्वारा नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता नियम, 2024 बनाए गए हैं. नए कॉलेज खोलने और पुराने कॉलेजों की मान्यता नवीनीकरण के लिए अब सिर्फ 8000 वर्गफीट बिल्डिंग की ही अनिवार्यता की गई है. पुराने नियमों में 20 हजार से 23 हजार वर्गफीट अकादमिक भवन की अनिवार्यता होती थी.


याचिकाकर्ता ने कोर्ट में क्या कहा?
कोर्ट में दलील दी गई कि पिछले दो वर्षों में सीबीआई जांच में प्रदेश के 66 नर्सिंग कॉलेज अयोग्य पाए गए हैं.उनमें कई सरकारी कॉलेज भी शामिल हैं. सरकार ने इन्हीं कॉलेजों को नए सत्र से बैकडोर एंट्री देने के लिए नए नियम शिथिल किए हैं.


याचिकाकर्ता ने कहा कि नर्सिंग से संबंधित मानक एवं मानदंड तय करने वाली अपेक्स संस्था इंडियन नर्सिंग काउंसिल के रेग्युलेशन 2020 में भी स्पष्ट उल्लेख है कि 23 हजार 200 वर्गफीट के अकादमिक भवन युक्त नर्सिंग कॉलेज को ही मान्यता दी जा सकती है.


'नए नियम बनाने का राज्य शासन को अधिकार'
वहीं,सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने तर्क दिए कि नए नियम बनाने के अधिकार राज्य शासन को हैं. इसलिए इन्हें गलत नहीं कहा जा सकता. उन्होंने याचिकाकर्ता के आरोपों पर जवाब देने के लिए हाईकोर्ट से समय की मांग की. महाधिवक्ता ने अंडरटेकिंग दिया है कि अगर अगली सुनवाई के पहले सत्र 2024-25 की मान्यता प्रक्रिया शुरू की गई, तब भी नए नियमों को लागू नहीं किया जाएगा.


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