MP News Today : मध्य प्रदेश सरकार का लक्ष्य सभी जिलों में 'साइबर तहसील' के जरिये से समाज के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति को फायदा पहुंचाना है. साइबर तहसील के जरिए लोगों को कई कामों को करने में आसानी हुई है.


खास तौर पर भूमि या भूखंड खरीदी बिक्री के बाद आने वाली कठिनाइयों को साइबर तहसील के जरिये काफी आसान कर दिया गया है. इससे लोगों को भाग दौड़ से निजात मिल रही है और समय की भी बचत हो रही है.


मध्य प्रदेश के सभी जिलों में आने वाले वक्त में साइबर तहसील शुरू हो जाएंगे. अभी भी कुछ नए जिलों को छोड़कर अधिकांश जिलों में साइबर तहसीलों पर काम शुरू हो गया है, जिसका लाभ लोगों को मिल रहा है. 


क्या हैं फायदे?
साइबर तहसील खोले जाने का सबसे प्रमुख उद्देश्य सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और लोगों को सुविधा पहुंचना है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के मुताबिक, साइबर तहसील बनने के बाद रजिस्ट्री होने पर बिना किसी आवेदन के नामांतरण प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. 


साइबर तहसील में सार्वजनिक नोटिस की प्रक्रिया को भी सरल किया गया है. क्रेता- विक्रेता और गांव के निवासियों को एसएमएस के माध्यम से सार्वजनिक नोटिस जारी किया जाता है. 


इसके अलावा आपत्तियों को लेकर भी ऑनलाइन प्रक्रिया का पालन किया जाता है. एसएमएस में 10 दिनों के अंदर ऑनलाइन आपत्तियां दर्ज करने के लिए लिंक भी प्रदान किया जाता है.


ऑनलाइन मिलता है नामांतरण आदेश
कृषि भूमि या भूखंड खरीदते समय सबसे ज्यादा परेशानी क्रेता को नामांतरण आदेश की होती है. साइबर तहसील में पटवारी की सकारात्मक रिपोर्ट और कोई आपत्ति नहीं होने पर तुरंत नामांतरण आदेश जारी किया जाता है.  


इसके अलावा भू अभिलेख अपडेट करने को लेकर भी रियल टाइम में तुरंत खसरा, नक्शा जैसे भू अभिलेख ऑनलाइन दर्ज हो जाते हैं, इतना ही नहीं प्रमाणित प्रति भी व्हाट्सएप और ईमेल के माध्यम से तुरंत भेज दी जाती है. 


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