Ram Van Gaman Path in MP: देश में एक तरफ अयोध्या में भगवान श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का उत्सव चल रहा है, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश की नई सरकार राम वन गमन पथ के निर्माण को अपनी पहली प्राथमिकता बताई है. मोहन यादव सरकार ने प्रदेश की सबसे बड़ी आध्यात्मिक परियोजना श्री राम वन गमन पथ पर ध्यान केंद्रित किया है. मंगलवार (16 जनवरी) को सीएम मोहन यादव ने प्रदेश के वरिष्ठ अफसरों के साथ चित्रकूट में श्री राम वन गमन पथ न्यास की पहली बैठक में शामिल होंगे.


बताया जा रहा है कि पिछले साल अगस्त में श्री राम वन गमन पथ न्यास के गठन के नोटिफिकेशन के बाद चित्रकूट के ग्रामोदय विश्वविद्यालय में ये पहली बैठक हो रही है. 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले मध्य प्रदेश में हो रही इस बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस बैठक में चित्रकूट में कई घाटों के विकास कार्य पर बनी डीपीआर के साथ ही गुरुकुल प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना को लेकर भी अधिकारी प्रेजेंटेशन देंगे.


कैसा है न्यास का स्वरूप?
पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान सरकार की मंत्रि-परिषद ने पिछले साल अगस्त माह में श्री रामचन्द्र वन पथ गमन वाले अंचलों के विकास के लिये "श्री रामचन्द्र पथ गमन न्यास" के गठन की स्वीकृति दी थी. न्यास में 33 सदस्य है. इसमें 28 पदेन न्यासी और 5 अशासकीय न्यासी सदस्य है. अशासकीय न्यासियों का अधिकतम कार्यकाल 3 साल होगा. न्यास की गतिविधियों के संचालन के लिये समय-समय पर विशेषज्ञ समितियों का गठन किया जा सकेगा. न्यास की संस्थागत व्यवस्था के लिए संस्कृति विभाग सक्षम होगा. न्यास के सुचारू संचालन के लिए परियोजना प्रबंधन इकाई गठित की जाएगी. इकाई में अधिकारियों और कर्मचारियों के कुल 7 पद होंगे. 


इन जिलों का किया है चयन
न्यास की गतिविधियों के संचालन के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित 32 नए पद के सृजन की स्वीकृति दी गई है, जिस पर एक करोड़ 57 लाख रुपये से अधिक वार्षिक वित्तीय भार आयेगा. गौरतलब है पिछले एक दशक से इस पथ के निर्माण की बात की जा रही है, लेकिन किसी न किसी अवरोध के कारण मामला अटक जाता था. इसके लिए अनेक सर्वे और अध्ययन किये जा चुके हैं. सर्वे में मध्य प्रदेश के दस जिलों सतना, विदिशा, होशंगाबाद, जबलपुर, कटनी, शहडोल, अनूपपुर, पन्ना, उमरिया और रीवा का चयन राम वन गमन पथ का निर्धारण किया गया था.


भगवान राम को पहुंचे थे भरत  
चित्रकूट में भगवान श्रीराम के दुर्लभ प्रमाण हैं. यहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचे थे. यहीं से वह राम की चरण पादुका लेकर लौटे. यहां भगवान श्रीराम, पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ साढ़े ग्यारह साल रहे. इसके बाद सतना, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, कटनी, अनूपपुर, रीवा आदि के वन क्षेत्रों से होते हुए वह दंडकारण्य चले गये.


अयोध्या से शुरू होता है मार्ग
राम वन पथ गमन मार्ग उत्तर प्रदेश के अयोध्या से चित्रकूट हुए मध्य प्रदेश में प्रवेश कर गया है. इसका समापन छत्तीसगढ़ के कोरिया में होता है. इसलिये मध्य प्रदेश सरकार सिर्फ राज्य के अंदर वाले क्षेत्र में इस मार्ग का निर्माण करेगा. पहले धार्मिक न्यास विभाग ने राम वन गमन पथ के निर्माण का कार्य एमपीआरडीसी को दिया था. इसके लिए 50 लाख रुपये दिया गया था. एमपीआरडीसी ने डीपीआर बनाने के लिये ख्यात कंपनियों को टेंडर भी जारी कर दिये थे, लेकिन जब पता चला कि करीब 14 सौ किमी के इस मार्ग के बीच आने वाले धार्मिक स्थलों पर भी यातायात, पार्किंग, चौड़े मार्ग, धर्मालुओं के ठहरने की सुविधा आदि भी विकसित की जाना है. इसके बाद संबंधित जिलों की विकास योजनाओं में बदलाव करने होंगे, तब उसने टेंडर निरस्त कर दिया.


निर्माण में 35 सौ करोड़ की लागत
वैसे, यहां बता दें कि श्रीराम की वनगमन यात्रा उत्तर प्रदेश में राम जन्मभूमि अयोध्या से शुरू होकर प्रतापगढ़, प्रयागराज, कौशांबी होते हुए चित्रकूट तक आ रही है. इसी पथ को ही राम वनगमन मार्ग कहा जाता है. इसकी लंबाई करीब 177 किलोमीटर है. राम वनगमन मार्ग के इस हिस्से को केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय बना रहा है. इसको पूरी तरह से तैयार करने में 3500 करोड़ रुपये की लागत आएगी. कहा जा रहा है कि अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण के साथ ही मोदी सरकार ने भी अयोध्या से चित्रकूट तक भगवान श्रीराम ने वनवास का सफर तय किया था, उसे नेशनल हाईवे बनाने का काम तेज कर दिया है. यह हाईवे दिसंबर 2024 तक बनकर तैयार हो जाएगा. पांच फेज में इस हाईवे "राम वन-गमन मार्ग" के काम को बांटा गया है. मार्ग की लंबाई लगभग 147 किमी होगी.


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