MP News: अब फिर से बहुरेंगे बुधनी के खिलौना कारीगरों के दिन, भोपाल, नर्मदापुरम रेलवे स्टेशनों पर सरकार लगाएगी स्टॉल
Budhni News: प्रदेश सरकार बुधनी में बनने वाले लकड़ी के खिलौनों का प्रचार प्रसार कर रही है. सीएम के निर्देश पर बुधनी को टॉय कलस्टर के रूप में विकसित करने के लिए निरतर कार्य किया जा रहा है.
Budhni News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) से 70 किलोमीटर दूर सीहोर जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर नर्मदा किनारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) की विधानसभा बुधनी शहर (Budhni City) के चमकीले रंग के लकड़ी के खिलौने पारंपरिक रूप से छोटे बच्चों में पसंदीदा रहे हैं, लेकिन बदलते वक्त और तकनीक के आने से इनकी डिमांड में लगातार गिरावट आई है. इससे बुधनी के लकड़ी के खिलौने बनाने वाले कारीगरों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
बुधनी के खिलौनों के लिए आपदा का कारण बना राजमार्ग हाईवे
51 वर्षीय महेश शर्मा 3 दशकों से अधिक समय से लकड़ी के खिलौने बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि 2014 में बना राजमार्ग हाईवे बुधनी के खिलौना बाजारों के लिए आपदा का कारण बन गया है. महेश ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि पहले अलग-अलग राज्यों और शहरों के मुसाफिर रेलवे क्रॉसिंग के पास हमारी दुकानों से गुजरते थे. वे अक्सर हमारे खिलौने खरीदते थे लेकिन 2014 में इस हाईवे के बनने के बाद से खिलौनों की बिक्री में लगातार गिरावट आई है. इसकी वजह से ज्यादातर कारीगरों ने खिलौने बनाना छोड़ दिया है.
खिलौना कारोबार को बंद कर रहे कारीगर
उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ कारीगर अब भी इस काम में डंटे हुए हैं लेकिन वो अपनी क्षमता का केवल 10 या 15% ही खिलौने बना रहे हैं. महेश ने कहा कि पहले इन खिलौनों को बनाने में कम से कम 40 घर लगे हुए थे, लेकिन अब मुश्किल से आठ से दस कारखानों में ही खिलौने बनाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि खिलौना कारीगरों पर महंगाई की भी मार पड़ी है. महेश कहते हैं कि लकड़ी के खिलौने की कीमत तो सीमित है, लेकिन इन्हें बनाने के लिए जो सामान लेकर आते हैं, वह महंगा हो गया है. बिजली का खर्चा भी काफी बढ़ गया है
अब बहुरेंगे बुधनी खिलौना कारीगरों के दिन
लेकिन अब लगता है कि बुधनी के खिलौना कारीगरों के दिन फिर से बहुरने वाले हैं. प्रदेश सरकार बुधनी में बनने वाले लकड़ी के खिलौनों का दूर-दूर तक प्रचार प्रसार कर रही है. यही नहीं शिवराज सरकार ने आगे आकर खिलौनों की बिक्री के लिए भोपाल एवं नर्मदापुरम रेलवे स्टेशन पर खिलौनों के स्टॉल गवाने का भी ऐलान किया है. बता दें कि बुधनी के लकड़ी के खिलौने महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक प्रसिद्ध हैं. एक जिला एक उत्पाद नीति के तहत बुधनी के खिलौनों का चयन किया गया है. बुधनी के खिलौने की ख्याति को दृष्टिगत रखते हुए तथा शिल्पकारों के उत्थान के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर बुधनी को टॉय कलस्टर के रूप में विकसित करने के लिए निरतर कार्य किया जा रहा है. बुधनी में खिलौनों के निर्माण के लिए दुधी लकड़ी का प्रयोग किया जाता है. इसका रंग सफेद होता है और अन्य लकड़ियों की तरह इसमें गांठ और रेसे नहीं होते. पूरी लकड़ी एक जैसी होने के कारण इससे बनने वाले खिलौने बेहद आकर्षक और सुंदर होते हैं. इस लकड़ी में औषधीय गुण भी पाए जाते हैं, इसलिए बच्चों द्वारा इसे मुंह में लेने से उन्हें कोई नुकसान नहीं होता. दुधी लकड़ी बुदनी क्षेत्र के जंगलों में पाई जाती है. वन विभाग द्वारा इसे रियायती दर पर शिल्पकारों को उपलब्ध कराया जाता है.
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