Madhya Pradesh News Today: भारत सहित पूरी दुनिया ने 3 साल वैश्विक महामारी कोरोना का प्रकोप झेला, कोविड-19 के उस दौर को याद कर अक्सर लोग सहम जाते हैं. इस महामारी ने कई घरों को बर्बाद कर दिया है, जबकि कई बच्चों के सिर से माता-पिता का साया छिन गया. 


कोरोना महामारी की वजह से मध्य प्रदेश में भी 1300 बच्चे अनाथ हो गए थे. इन बच्चों के भरण पोषण के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 'मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना' शुरू की थी. इसके तहत अनाथ बच्चों को हर महीने 5000 रुपये की आर्थिक पेंशन मिलनी थी. 


जनसुनवाई में दर्ज कराई शिकायत
इस योजना के जरिये अनाथ बच्चों की मदद करने के मामले में मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बना था, लेकिन विडंबना यह है कि ऐसे अनाथ बच्चों को अब मध्य प्रदेश सरकार भुला बैठी है. लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता का हवाला देकर आश्वासन दिया गया था कि चुनाव खत्म होते योजना की राशि फिर से बच्चों के खातों में भेजी जाएगी.


हालांकि अब लोकसभा चुनाव खत्म होने के छह माह बाद भी बच्चों के खातों में अनुदान राशि नहीं डाली गई है. इस बारे में जब कलेक्ट्रेट जाकर जनसुनवाई में शिकायत दर्ज कराई गई, तो वहां अफसरों ने बजट नहीं होने का हवाला दिया. हालात यह हैं कि इन बच्चों की बड़ी मुश्किल से जिंदगी का गुजर बसर हो रहा है. 


अनाथ बच्चों ने सुनाई आपबीती
भोपाल से 25 किलोमीटर दूर ग्राम लसुड़िया परिहार में आलोक अहिरवार, आयुषी अहिरवार के माता-पिता अनिल अहिरवार और चंद्र अहिरवार भी इस महामारी की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई थी. जिसके बाद यह बच्चे अनाथ हो गए. बच्चों ने बताया कि 6 महीने हो गए हैं, पेंशन नहीं मिली है. 


इन अनाथ बच्चों के चाचा जितेंद्र अहिरवार की कमर के रीड की हड्डी टूटी हुई है, उनके देखभाल का जिम्मा भी इन्हीं मासूम बच्चों पर हैं. घर में दादाजी हैं लेकिन उनकी आंखों से दिखाई नहीं देता है. इन्होंने कुछ दिन पहले जनसुनवाई में गुहार लगाई थी तो जवाब मिला था कि बजट नहीं है.


'अनाथ हुए बच्चों की सरकार को चिंता'
इस पूरे मामले में उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मुझे इसकी जानकारी नहीं है, मैं इसकी जानकारी लूगां." इस बारे में जब राज्य स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है, कोरोना काल में जो बच्चे अनाथ हुए, उनकी चिंता सरकार को है.


राज्य स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने दावा किया कि इस योजना के तहत नियम से पैसे पहुंच रहे हैं. बजट के अभाव की उन्होंने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ऐसा कुछ नहीं है. इन बच्चों के लिए बजट भी है और सरकार इनके लिए खड़ी है. 


कांग्रेस ने लगाए ये आरोप
कांग्रेस के प्रवक्ता आनंद जाट ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश कुपोषण, गरीबों, हड़तालियों का प्रदेश पहले से था, जो यह दर्शाता है कि मध्य प्रदेश अब दिवालिया प्रदेश होने जा रहा है. आनंद जाट ने कहा, "मध्य प्रदेश की सरकार उन बच्चों का प्रतिमाह 5 हजार रुपये नहीं दे पा रही है, जिनके माता-पिता कोरोना की भेंट चढ़ गए और अब वह अनाथ हैं."


कांग्रेस नेता आनंद जाट ने आरोप लगाया कि सरकार कितनी लाचार है जो अनाथ बच्चों का पैसे नहीं दे पा रही है. सीएम मोहन यादव पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री इवेंट प्रचार की यह राजनीति बंद कर देंगे तो इन बच्चों को भरण पोषण के लिए 5 हजार रुपये की राशि दी जा सकती है.  


तत्कालीन सरकार ने किया था ये ऐलान
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बच्चों के भरण पोषण के लिए 'मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना' शुरू किया था. मई 2021 में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि जिन बच्चों ने कोरोना की वजह से अपने माता-पिता या अभिभावकों को खोया है उन्हें हर महीने 5 हजार रुपए पेंशन दी जाएगी. 


पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि इस बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा और परिवारों के लिए मुफ्त राशि की भी व्यवस्था की जाएगी. इस योजना की शुरुआत 30 मई 2021 को हुई थी. योजना में शिक्षा-आश्रय-आहार और जीवन योजना की संपूर्ण व्यवस्था किया जाना था. यह योजना 1 मार्च 2021 से 30 जून 2021 तक की अवधि में कोविड-19 के कारण हुई मौत के मामलों पर लागू थी.


यह की थी घोषणा
. 5 हजार रुपए प्रतिमाह की पेंशन दी जाएगी.
. महीने का राशन निशुल्क दिया जाएगा.
. पहली से 12वीं तक सरकारी स्कूलों में निशुल्क पढ़ाई और निजी स्कूल में पढ़ाई के लिए सरकार 10 हजार रुपये सालाना देगी.
. कॉलेज की पढ़ाई का खर्च भी सरकार उठाएगी.


बजट में 7.98 करोड़ का प्रावधान 
कोविड-19 के कारण जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया था. उन्हें भी आर्थिक सहायता, खाद्यान्न सुरक्षा, निशुल्क शिक्षा मिले इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा क्रियान्वित की जा रही है. 


इस योजना के माध्यम से 1326 बच्चों को प्रतिमाह 5 हजार रुपये की सहायता राशि का भुगतान किया जा रहा है. इस योजना के लिए इस वर्ष 7.98 करोड़ रुपये की राशि का बजट में प्रावधान किया गया है.


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