Monkeypox Guidelines : मंकीपॉक्स के खतरे को देखते हुए MP सरकार ने जारी की एडवाइजरी, इस तरह पहचान सकते हैं
Monkeypox Virus: मध्य प्रदेश में मंकीपॉक्स के खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है. उसमें मंकीपॉक्स के लक्षण, संदिग्ध मरीजों की सैंपलिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट पर गाइडलाइन है.
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Monkeypox Virus: मध्य प्रदेश में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के खतरे को देखते हुए हेल्थ डिपार्टमेंट (Health Department) ने एडवाइजरी (Advisory) जारी की है. मध्य प्रदेश के हेल्थ कमिश्नर ने सभी कलेक्टर्स, सीएमएचओ और सिविल सर्जन को अंतरिम एडवायजरी का पत्र भेजा है. पत्र में मंकीपॉक्स के लक्षण, संदिग्ध मरीजों की सैंपलिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट पर गाइडलाइन है.
एडवाइजरी में कहा गया है कि मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक (Viral Zoonotic) बीमारी है, जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षा वन क्षेत्रों में पायी जाती है. बीमारी एक स्व-सीमित (Self Limited) संक्रमण है. इसके लक्षण सामान्य तौर पर 2 से 4 सप्ताह में खत्म हो जाते हैं. गंभीर मामलों में मृत्यु दर 1 से 10 फीसद तक है.
इलाज के नियम
- सभी संदिग्ध मरीजों को चिन्हाकिंत अस्पतालों में तब तक अलग (आइसोलेट) किया जाना चाहिए, जब तक सभी घावों पर त्वचा की एक नई परत न बन जाए.
- इलाज करने वाले डॉक्टर की तरफ से आइसोलेशन समाप्त करने का निर्णय लेने पर ही अस्पताल से डिस्चार्ज करना चाहिए.
- सभी लक्षणों वाले संदिग्ध मरीज डिस्ट्रक्ट सर्विलेंस ऑफिसर की निगरानी में रहेंगे.
- संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकीपॉक्स वायरस की जांच के लिए सैंपल में fluid from Vesicles, Blood, Sputum को NIV पुणे की लैब भेजा जाएगा.
- मंकीपॉक्स का पॉजिटिव प्रकरण पाए जाने पर कांटेक्ट ट्रैकिंग की जाए.
- बीते 21 दिनों में मरीज के संपर्क में आये व्यक्तियों की पहचान की जाये
मंकीपॉक्स के लक्षण
- मरीजों को बुखार के साथ रैशेस पाये जाए.
- ऐसे व्यक्ति जिन्होंने पिछले 21 दिनों में किसी ऐसे देश की यात्रा की हो, जहां हाल ही में मंकीपॉक्स का मामला मिला हो.
- कन्फर्म या संदिग्ध मंकीपॉक्स संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क हुआ हो
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स
- मंकीपॉप्स वायरस पशुओं से मनुष्य में और एक से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है.
- वायरस कटी-फटी त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है.
- संक्रमित पशु, वन्यपशु से मानव में वायरस का सर्कुलेशन काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे और अप्रत्यक्ष संपर्क जैसे दूषित बिस्तर के माध्यम से हो सकता है.
- वायरस शरीर के तरल पदार्थ / घाव के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी प्रसारित हो सकता है, जैसे संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों या लिनेन के माध्यम से.Ujjain News: महंगाई की मार से बंद हुई किसानों को 5 रुपये में खाना खिलाने वाली रसोई, नई एजेंसी की तलाश में है जिला प्रशासन
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