Sagar: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जबलपुर बेंच ने सागर जिले के बलात्कार के झुठे मामले में रिपोर्ट करने वाली पीड़िता को मिली मुआवजा राशि सरकार को वापस करने के लिए कहा है. कोर्ट ने इस मामले में आरोपी की जमानत भी मंजूर कर ली है. हाईकोर्ट ने जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान पाया कि पीड़िता ने ट्रायल में रेप के आरोप को नकार दिया था. जिसके बाद हाई कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है.
बबलेश पटेल पर लगें थे यह गंभीर आरोप
दरअसल, पीड़िता और उसके परिजनों ने साल 2021 में सागर के महिला थाने में आवेदन दिया था. इसमें कहा गया था कि बबलेश पटेल ने उनकी नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार किया है. जिसको लेकर 02 नवंबर 2021 को बबलेश पटेल के खिलाफ सागर के महिला थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 376(2)(एन), 506, पॉक्सो एक्ट की धारा 3, 4, 5जे(ii), 5एल और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(डब्ल्यू)(II),3(II) (V) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी.
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दर्ज कराया गया था झूठा केस
आरोपी बबलेश पटेल की जमानत याचिका सागर जिला और सत्र न्यायालय ने खारिज कर दी थी. इसके बाद आरोपी के वकील कमलेश सिंह राजपूत ने जबलपुर हाइकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया. जिसमें 17 मई 2022 को जस्टिस विवेक अग्रवाल ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह बलात्कार के एक मामले में पीड़िता के खिलाफ राज्य सरकार से मिले मुआवजे को वापस करने के लिए निर्देश जारी करे. पीडिता ने अपने बयान में स्वीकार किया है कि उसने आरोपी के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई थी.
मामूली विवाद कर दर्ज कराया रेप का झूठा केस
जमानत अर्जी पर निर्णय करते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल ने कहा कि ट्रायल कोर्ट पीड़िता के खिलाफ उसके द्वारा प्राप्त राशि वापस करने के लिए एक निर्देश जारी करने पर विचार करे क्योंकि उसने अपनी गवाही में मुख्य रूप से स्वीकार किया है कि उसने दोनों पक्षों के बीच हुए कुछ मौखिक विवाद के बाद झूठी रिपोर्ट लिखवाई थी. इसलिए, कथित झूठी रिपोर्ट दर्ज की गई है. ऐसे में वह देश के करदाताओं के पैसे से राज्य सरकार द्वारा भुगतान की गई मुआवजे की राशि को रखने की हकदार नहीं है. इस प्रकार, ट्रायल कोर्ट पीड़िता को उस राशि को ट्रेजरी खाते के उपयुक्त शीर्ष में वापस जमा कराने का निर्देश देने पर विचार करे.
कोर्ट ने जमानत के दिए निर्देश
इस मामले में बबलेश पटेल के आवेदन पर हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका स्वीकार कर उसे जमानत दे दी है. याचिकाकर्ता 3 नवंबर 2021 से न्यायिक अभिरक्षा में है. दूसरी बार लगाए गए जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 50 हजार रुपये के मुचलके पर याचिकाकर्ता को जमानत देने के निर्देश जारी किए हैं.
इस पूरे मामले पर क्या कहा वकील ने?
इस मामले की पैरवी कर रहे एडवोकेट कमलेश सिंह राजपूत का कहना है कि ये बिल्कुल अलग तरह का और अनूठा मामला है जिसमें बलात्कार जैसे संगीन मामलो में झूठी रिपोर्ट ना हो इसके लिए न्यायालय द्वारा पीड़िता को सरकार की तरफ से मिलने वाली राशि को वापिस करने के निर्देश दिए है.
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