Buxwaha Diamond Mining: बक्सवाहा में हीरा खनन पर एमपी हाईकोर्ट ने लगाई रोक, केंद्र राज्य और एएसआई से मांगा जवाब
सर्वे में खुलासा हुआ था कि बक्सवाहा के खनन क्षेत्र वाले जंगल में 25 हज़ार वर्ष से ज्यादा पुरानी प्राचीन रॉक पेंटिंग मिली है. यह पेंटिंग पाषाण युग के मध्यकाल की बताई जा रही है.
Buxwaha Diamond Mining: मध्य प्रदेश में छतरपुर ज़िले के बक्सवाहा की 364 हेक्टेयर भूमि पर हीरा खनन का काम कर रही माइनिंग कंपनी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने खनन पर तत्काल रोक लगाते हुए केंद्र सरकार ,राज्य सरकार और एएसआई से जवाब दाखिल करने के निर्देश भी दिए हैं. जबलपुर के एक स्वयंसेवी संगठन नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने जनहित याचिका में बक्सवाहा के जंगलों में पाषाणकालीन भित्तिचित्रों के संरक्षण की मांग की है जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने फिलहाल खनन रोकने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि जुलाई 2021 में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी एएसआई ने एक सर्वे किया था. इस सर्वे में खुलासा हुआ था कि बक्सवाहा के खनन क्षेत्र वाले जंगल में 25 हज़ार वर्ष से ज्यादा पुरानी प्राचीन रॉक पेंटिंग मिली है. यह पेंटिंग पाषाण युग के मध्यकाल की बताई जा रही है. याचिकाकर्ता संगठन के अध्यक्ष डॉ पी जी नजपाण्डेय ने मांग उठाई थी कि जब तक पाषाण युग की ऐसा पुरातात्विक संपदा यानी रॉक पेंटिंग के संरक्षण की ओर कोई कदम नहीं उठाए जाते तब तक तत्काल खनन पर रोक लगाई जाए.
छतरपुर जिले के बक्सवाहा में सोगोरिया गांव के अंतर्गत 364 हेक्टेयर जंगल के इलाके में हीरा खदान के लिए एक निजी कंपनी को अनुमति दी गई है. याचिकाकर्ता के मुताबिक सरकार द्वारा 364 हेक्टेयर जमीन पर दी गई हीरा खदान की अनुमति कई मायने में गलत है. इसमें सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी द्वारा "सस्टेनेबल डेवलपमेंट' के आदेशों की अनदेखी की गई है.
यहां तक कि एनजीटी का पूर्व आदेश भी है, जिसमें स्पष्ट दर्शाया गया है कि जितनी भी वन भूमि को डायवर्ट किया जाता है उसके दुगने वन क्षेत्र पर कंपनसेटरी फॉरेस्टेशन अनिवार्य है. लेकिन इस बात की अनदेखी कलेक्टर छतरपुर द्वारा की गई है.
हीरा खदान से वहां निवासरत करीब 8000 वनवासियों पर भी असर पड़ेगा,,, जिनके लिए किसी तरह की योजना सरकार ने नहीं बनाई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इससे बड़ा वाइल्डलाइफ डिसबैलेंस भी बन सकता है जिससे कहीं ना कहीं इकोलॉजी सिस्टम भी प्रभावित होगा. बड़ी बात यह भी है की खदान के बनने से वन भूमि के जल स्त्रोतों को बड़ा नुकसान भी पहुंचेगा.
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