MPPSC-2019: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा एमपी-पीएससी 2019 (MPPSC-2019) के परिणाम नए सिरे से तैयार करने के फैसले ने कुछ नए तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं. अब नए अभ्यर्थियों को मेंस में शामिल होने का मौका मिलेगा तो कुछ पुराने अभ्यार्थी दुर्भाग्य से मेंस का एग्जाम देने से वंचित हो जाएंगे.


अधिवक्ता रामेश्वर ने दी जानकारी


ओबीसी आरक्षण और पीएससी परीक्षा से जुड़े मामलों में पैरवी करने वाले अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह इसे आसानी से समझाते हुए बताते हैं कि हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद पीएससी के सामने नए रिजल्ट तैयार करने के लिए क्या ऑप्शन है? वे कहते हैं कि 2015 के पुराने नियम में एक प्रावधान है. आरक्षित वर्ग (अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और ईडब्ल्यूएस) के ऐसे कैंडिडेट्स जिन्होंने जनरल कैटेगरी के निर्धारित कट ऑफ के बराबर या उससे अधिक मार्क्स हासिल किए हैं वो जनरल कैटेगरी में शामिल हो जाएंगे. उनके आरक्षित वर्ग से निकलकर सामान्य वर्ग में जाने से जो सीट खाली होगी उस पर उसी आरक्षित अभ्यर्थी को मौका मिल जाएगा.


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किसे हुआ नुकसान और किसे फायदा


गौरतलब है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने आदेश में एमपी-पीएससी 2019 (MPPSC-2019) के प्री और मेंस का रिजल्ट निरस्त कर दिया था. मामला संशोधित नियम 17 फरवरी 2020 से जुड़ा है जिसे हाईकोर्ट ने असंवैधानिक बताया है. इसके साथ ही कोर्ट ने पुराने नियम के आधार पर प्री का रिजल्ट दोबारा तैयार करने का आदेश दिया. अब एमपी-पीएससी द्वारा प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम नए सिरे से तैयार किया जाएगा. इसमें सफल अभ्यर्थियों के लिए फिर से मुख्य परीक्षा (Main Exam) होगी और फिर इंटरव्यू के लिए कॉल आएगा. हाईकोर्ट के आदेश से किसे नुकसान हुआ और किसे फायदा? यहां समझें.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट


एक्सपर्ट कहते हैं कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रारंभिक परीक्षा (पुराने रिजल्ट के अनुसार) में सफल और मुख्य परीक्षा दे चुके कई कैंडिडेट की किस्मत अच्छी नहीं रहेगी. खासकर सामान्य वर्ग वाले कैंडिडेट्स को नुकसान होगा. अब नए सिरे से पुराने नियम के आधार पर रिजल्ट जारी होगा तो करीब 700 छात्रों को मुख्य परीक्षा में बैठने का मौका मिलेगा. इनमें कई ऐसे भी होंगे जो 17 फरवरी 2020 के आदेश के कारण बाहर हो गए थे. जबकि एक से छह मार्क्स की कमी से बाहर हो गए आरक्षित वर्ग के छात्रों को भी मुख्य परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलेगा. पुराने नियम के आधार पर प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट घोषित होगा तो 11 हजार से अधिक अभ्यर्थी नए सिरे से मेरिट लिस्ट में आ जाएंगे.


यहां बता दें कि राज्य सरकार ने एमपी-पीएससी-2019 प्रारंभिक परीक्षा के बाद एमपी-पीएससी आरक्षण अधिनियम-2015 में संशोधन कर दिया था. 17 फरवरी 2020 को जारी संशोधित नियम के प्रावधान में जोड़ दिया गया कि जनरल कैटेगरी की मेरिट लिस्ट में आरक्षित वर्ग के कैंडिडेट्स को शामिल नहीं किया जाएगा. इस वजह से आरक्षण की कुल सीमा 113 फीसदी पहुंच गई. सामान्य वर्ग के लिए 40 फीसदी, ओबीसी के लिए 27 फीसदी, एसटी-एससी वर्ग के लिए क्रमश: 16 और 20 फीसदी और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी आरक्षण हो गया था.


हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब गेंद MP-PSC के पाले में है. उसे प्रीलिम्स का रिजल्ट नए सिरे से पुराने नियम के अनुसार घोषित कर मेंस एग्जाम जल्द कराना होगा. मामला हाईकोर्ट में चले जाने से पहले से ही दो साल से चयन अटका पड़ा है. MPPSC-2019 के प्री-एग्जाम में करीब तीन लाख कैंडिडेट्स शामिल हुए थे. परीक्षा कुल 587 पदों के लिए कराई गई थी. प्रारंभिक परीक्षा के बाद मुख्य परीक्षा के लिए पद की तुलना में 20 गुना कैंडिडेट्स को मौका दिया गया. इसके बाद इंटरव्यू के लिए तीन गुना कैंडिडेट्स को बुलाया जाता और फिर फाइनल सिलेक्शन का रिजल्ट जारी होता.


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