Corruption in NHM: मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में एक सरकारी दफ्तर के साहब का चाय पीने का शौक चर्चा का विषय बना हुआ है.वो अपने दफ्तर के बाजू वाली चाय की दुकान की जगह 20 किमी दूर बगल वाली तहसील की प्रिय दुकान से चाय मंगवाकर पीते हैं.चौकिए मत,यह हकीकत नहीं बल्कि भ्रष्टाचार का फसाना है.साहब ने सरकारी धन में गोलमाल तो किया ही,उसे उजागर करने वाले एक कर्मचारी का बड़ी दूर तबादला भी करा दिया.


हाई कोर्ट ने सुनाया यह फैसला


अधिकारी के कोप का भाजन बने मझौली ब्लाक प्रोग्राम मैनेजर (बीपीएम) अमित चंद्रा को जबलपुर हाईकोर्ट ने राहत देते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की मिशन संचालक सहित सात अनावेदकों को नोटिस जारी किया है.वहीं,इस मामले में भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे मझौली के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) डॉ.पारस ठाकुर को याचिका में व्यक्तिगत तौर पर पार्टी बनाया गया है.हाईकोर्ट ने अमित चंद्रा का दमोह जिले के तेंदूखेड़ा में किया गया ट्रांसफर भी रद्द कर दिया है.


दरअसल, बीपीएम अमित चंद्रा ने मझौली के बीएमओ डॉ.पारस ठाकुर के खिलाफ तीन साल में करीब 30 लाख रुपया मिशन के फंड में गबन की शिकायत की थी.इसके कारण बीएमओ ने उसकी फर्जी शिकायत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की डायरेक्टर से कर दी.इसके बाद अमित चंद्रा का ट्रांसफर दमोह जिले के तेंदूखेड़ा कर दिया गया.नियम विरुद्ध किए गए ट्रांसफर ऑर्डर को अमित चंद्रा ने हाई कोर्ट में चुनौती दी गई.


बिलों की जांच में क्या निकला


याचिकाकर्ता के वकील अरविंद श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि यह ट्रांसफर दुर्भावना की नियत से किया गया है. यह नेचुरल जस्टिस के विपरीत है.अतः ट्रांसफर ऑर्डर पर स्टे दिया जाए.न्यायालय ने दलीलों को सही मानते हुए स्टे ऑर्डर जारी कर दिया.


याचिकाकर्ता के वकील अरविंद श्रीवास्तव के अनुसार बीपीएम अमित चंद्रा सितंबर 2021 को ब्लाक प्रोग्राम मैनेजर की 12 साल की नौकरी के बाद नरसिंहपुर जिले के सालीचौका से ट्रांसफर होकर मझौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आए थे.अक्टूबर 2022 में उनके पास चौरसिया ट्रेवल सिहोरा का 25 हजार का बिल भुगतान करने के लिए पोर्टल पर रिकमंड करने को आया था.चंद्रा ने पाया कि महीने भर से कोई वाहन बीएमओ के लिए नहीं आया तो बिल कैसे लग सकता है.बिल में गाडी नंबर भी नहीं था.चौरसिया ट्रेवल्स का कांट्रेक्ट भी नहीं है.इनक्वायरी करने पर पता चला कि अप्रैल 2019 से ऐसा ही भुगतान डॉ.पारस ठाकुर द्वारा निकाला जा रहा है.इस बिल को पास करने से चंद्रा ने इनकार कर दिया.इसी तरह चाय का 70 हजार का बिल भी रिकमेंड करने का दबाव बीएमओ द्वारा बनाया जा रहा था. यह बिल मुख्यालय से 20 किमी दूर की दुकान का था.


लोकायुक्त करवा रहे हैं जांच


इस धांधली की शिकायत चंद्रा ने मिशन डायरेक्टर और लोकायुक्त भोपाल को कर दी.मिशन संचालक के आफिस में शिकायत को दबा दिया गया,परंतु लोकायुक्त भोपाल ने डॉ.पारस ठाकुर के विरुद्ध प्रकरण पंजीकृत कर जबलपुर में स्वास्थ्य विभाग को जांच करने के निर्देश दिए.जबलपुर के सीएमएचओ आफिस में मामले को एक महीने से भी अधिक समय तक दबाकर रखा गया और डॉ.पारस को इसकी जानकारी लीक कर दी गई.आरोप है कि इसके बाद डॉ.पारस ठाकुर ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से अमित चंद्रा के विरुद्ध शिकायतें करवाईं. इन्ही शिकायतों के आधार पर अमित चंद्रा का तबादला करवा दिया गया.


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