MP News: क्रिश्चियन मिशनरी को वापस नहीं मिलेगी अरबों की संपत्ति, हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका
Madhya Pradesh News: करीब 1 लाख 70 हजार वर्ग फीट जमीन की लीज नवीनीकरण के आवेदन को निरस्त करने के आदेश को चुनौती दी गई थी. इस याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया.
MP High Court Verdict: क्रिश्चियन मिशनरीज की अरबों की संपत्ति सरकारी होने के मामले से जुड़ी एक याचिका मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने खारिज कर दी. यह मामला भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप में जेल में बंद पूर्व बिशप डॉ. पीसी सिंह (Bishop PC Singh) से जुड़ा है. करीब 01 लाख 70 हजार वर्ग फीट जमीन की लीज नवीनीकरण के आवेदन को निरस्त करने के आदेश को चुनौती दी गई थी. इस याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया.
विशेष कोर्ट ने कहा कि द यूनाइटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसायटी और द यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉर्दर्न इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन की याचिका पोषणीय नहीं है, इसलिए कोई राहत नहीं दी जा सकती. जस्टिस एसए धर्माधिकारी की एकलपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के पास अपील करने के लिए विकल्प उपलब्ध है और वो चाहें तो उसका लाभ उठा सकते हैं.
अपर कलेक्टर कोर्ट द्वारा ये कार्रवाई हुई थी
अपर कलेक्टर कोर्ट द्वारा 23 सितम्बर को जारी आदेश में यूनाइटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसायटी मार्फत पीसी सिंह की नेपियर टाउन सिविल स्टेशन नजूल ब्लॉक नम्बर 4 के प्लाट का लीज प्रकरण खारिज कर दिया गया थी. इसमें नम्बर 15/1, 15/8, 15/9, 15/10, 15/15, 15/16, 15/17, 15/30, 15/31 और 15/42 की कुल 1 लाख 70 हजार 328.7 वर्गफीट भूमि का लीज प्रकरण खारिज किया गया.
इसके साथ ही मध्य प्रदेश सरकार राजस्व विभाग के नाम दर्ज करने के आदेश तहसीलदार रांझी द्वारा दिए गए थे. अपर कलेक्टर की कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के लीज नवीनीकरण के आवेदन को भी निरस्त कर दिया था. इसके बाद द यूनाइटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसायटी के प्रभारी बिशप ब्रूस ली थंगादुराई और द यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉर्दर्न इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर किया.
इस याचिका में कहा कि एमपी भू-राजस्व अधिनियम की धारा-122 के तहत सुनवाई का मौका दिए बिना ही लीज निरस्त कर दी गई. नवीनीकरण का आवेदन भी खारिज कर दिया गया, जो कि चुनौती योग्य है.
सरकार के वकील ने ये जानकारी दी
सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि मूलतः द यूनाइटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसायटी के नाम लीज जारी की गई थी. यह संस्था यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में रजिस्टर्ड है. सोसायटी ने सीएनआई ट्रस्ट एसोसिएशन को ऐसा कोई अधिकार प्रदान नहीं किया, जिसके जरिए वो भारत की संपत्ति का प्रबंधन कर सके.
ऐसी स्थिति में सीएनआई ट्रस्ट एसोसिएशन ऐसा कोई पत्र जारी नहीं कर सकती जिसके जरिए याचिकाकर्ता एक हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सके. इसलिए यह याचिका सारहीन होने के कारण खारिज करने योग्य है.