MP Politics: कौन हैं बीजेपी एमएलए जयपाल सिंह जज्जी जिन पर लगा है फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने का आरोप
MP Politics News: तीन दिन पहले हाईकोर्ट की एकल पीठ ने बीजेपी विधायक जयपाल सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करने के साथ स्पीकर से विधानसभा की सदस्यता रद्द करने को कहा था.
MP News: मध्य प्रदेश के अशोकनगर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक जयपाल सिंह जज्जी को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सोमवार को बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट के इस फैसले से उनकी विधानसभा की सदस्यता पर मंडरा रहा खतरा कम हो गया है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ उन्होंने डबल बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए याचिका दायर की थी. आज इस मसले पर सुनवाई के बाद युगल पीठ ने सिंगल बेंच के फैसले पर स्टे लगा दिया.
सिंगल पीठ ने सदस्यता समाप्त करने का दिया था आदेश
तीन दिन पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए विधायक के खिलाफ फैसला दिया था कि उनका जाति प्रमाण पत्र फर्जी है. अपने फैसले में सिंगल ने कहा था कि बीजेपी विधायक के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया जाए. साथ ही विधानसभा से उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए भी विधानसभा स्पीकर को लिखा था. सिंगल पीठ के फैसले से हैरान अशोक नगर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक जयपाल सिंह ने हाईकोर्ट की युगल पीठ में राहत के लिए याचिका लगाई थी. आज इस मसले पर युगल पीठ के सामने सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने सिंगल पीठ के फैसले पर स्टे लगा दिया.
कौन हैं बीजेपी विधायक जयपाल सिंह
जयपाल सिंह की पृष्ठभूमि मूल रूप से पंजाब की है. वह कीर जाति से ताल्लुक रखते हैं. पंजाब में कीर जाति अनुसूचित जाति की श्रेणी में आती है. मध्य प्रदेश में यह सामान्य वर्ग में आती है. जयपाल सिंह वर्तमान में अशोक नगर विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक हैं. 2020 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जयपाल सिंह ने जीत दर्ज की थी. दो साल पहले हुए पहले उपचुनाव में 52.52 प्रतिशत वोट पड़े थे. 2020 में भारतीय जनता पार्टी से जयपाल सिंह ने कांग्रेस की आशा दोहारे को 15 वोटों के मार्जिन से हराया था. अशोक नगर विधानसभा सीट गुना लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है.
दरअसल, जयपाल सिंह उर्फ जज्जी पहली बार विवाद में उस समय आए जब 2018 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अशोक नगर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उन्होंने चुनाव लड़ा था. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी लड्डूराम कोरी को हराया था. कोरी ने 2020 में हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ में याचिका दायर कर उनके निर्वाचन को चुनौती दी थी. कोरी ने अपनी याचिका के जरिए कहा कि उन्होंने गलत जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ा है. जयपाल ने पंजाब का जाति प्रमाण पत्र लगाया था. यह जाति पंजाब में अनुसूचित जाति में आती है, एमपी में नहीं. लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इस प्रमाण पत्र को गलत माना. अदालत ने एसपी अशोक नगर को जज्जी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज करने, जज्जी पर 50 हजार जुर्माना लगाने के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष को सदन की सदस्यता रद्द करने के भी आदेश दिए थे.
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ छोड़ी कांग्रेस
ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शमिल हुए तो जयपाल भी विधायक पद से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे. वो बाद में 2020 में बीजेपी के टिकट पर उप चुनाव लड़े और फिर जीत भी गए, लेकिन याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि उनकी सदस्यता जाएगी. सिंगल पीठ ने भी इस बात पर गौर फरमाए बगैर सदस्यता खत्म करने का आदेश दे दिया. इस मामले में जज्जी का कहना है कि उन्होंने 2018 में चुनाव जीतने के बाद इस्तीफा देकर नये सिरे से 2020 में उपचुनाव लड़ा. जनता ने उन्हें फिर से चुनकर विधानसभा भेजा है, इसलिस सिंगल पीठ का फैसला गलत है.
यह भी पढ़ें : MP: बैतूल में बीजेपी-कांग्रेस के दो नेताओं ने एक ही रात में की आत्महत्या! प्रशासन और पुलिस अधिकारी भी सन्न