Jabalpur High Court Order: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़की से छेड़खानी करने वाले आरोपी को अनोखी शर्त पर ज़मानत दी. जस्टिस आनंद पाठक की सिंगल बेंच ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी छात्र को 2 महीने तक हर शनिवार और रविवार को भोपाल के जिला अस्पताल में मरीजों को वॉलंटियर सर्विस देने की शर्त पर ज़मानत दी है. 


इसके अलावा, कोर्ट ने 2 महीने की टेंपरेरी बेल देते हुए छात्र को अपने आचरण में सुधार करने की हिदायत भी दी है. इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई 2024 को होगी.


लड़की को लगातार परेशान करता था आरोपी
दरअसल, भोपाल के पिपलानी इलाके में रहने वाला 21 साल का अभिषेक शर्मा अपने पड़ोस में रहने वाली 17 साल की एक छात्रा से छेड़छाड़ करता था. अभिषेक शर्मा प्रेम की दुहाई देकर छात्रा से लगातार छेड़छाड़ कर रहा था. उसने अपने हाथ में लड़की के नाम का टैटू भी बनवा लिया था. 


छात्रा ने अभिषेक की हरकतों से परेशान होकर पुलिस थाने में उसके खिलाफ POCSO एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया था.






अच्छे चाल-चलन के चलते मिली टेंपरेरी बेल
भोपाल पुलिस ने मार्च 2024 में अभिषेक शर्मा को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था. जिला अदालत से बेल एप्लीकेशन रिजेक्ट होने के बाद अभिषेक शर्मा ने हाई कोर्ट में अपनी जमानत का आवेदन दिया. एप्लीकेंट की ओर से एडवोकेट सौरभ भूषण श्रीवास्तव ने पैरवी करते हुए अदालत से अभिषेक शर्मा के अच्छे चाल-चलन की दुहाई देते हुए जमानत की अपील की.


एडवोकेट सौरभ भूषण श्रीवास्तव ने बताया कि एप्लीकेंट अभिषेक शर्मा बीबीए फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट है. कोर्ट ने उसके भविष्य को देखते हुए इस मामले में अनोखा आदेश दिया है. जस्टिस आनंद पाठक की सिंगल बेंच ने अभिषेक शर्मा के पेरेंट्स को भी कोर्ट में बुलाकर समझाइश दी.  


अगली सुनवाई 22 जुलाई को
कोर्ट ने दो माह की अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि आरोपी अभिषेक शर्मा को हर सप्ताह शनिवार और रविवार को भोपाल जिला अस्पताल में वालंटियर सर्विस देनी होगी. इसके अलावा वह छात्र को किसी भी तरह से परेशान नहीं करेगा और ना ही उस पर मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव बनाएगा. इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी तब कोर्ट क्या देखेगा कि जमानत अवधि के दौरान अभिषेक शर्मा का आचरण कैसा था?


बता दें कि आरोपी अभिषेक शर्मा दो माह से भोपाल की जेल में बंद था.16 में को अंतरिम जमानत होने के बाद उसकी रिहाई हो गई है.कोर्ट कैसे फैसले को लेकर अलग-अलग तरह की चर्चाएं भी हो रही हैं. एप्लीकेंट के एडवोकेट सौरभ भूषण श्रीवास्तव का कहना है कि सिंगल बेंच का यह ऑर्डर आगे ऐसे मामलों में नजीर बनेगा.


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