Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (Shivraj Singh Chouhan), बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा (VD Sharma) और विधायक भूपेंद्र सिंह Bhupendra Singh) के खिलाफ मानहानि मामले में जबलपुर की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने मंगलवार (2 अप्रैल) को जमानती वारंट जारी किया है. कांग्रेस के राजयसभा सदस्य विवेक तन्खा द्वारा लगाए 10 करोड़ रुपये के मानहानि केस में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से तीनों नेताओं को फिलहाल राहत नहीं मिली है.
शिवराज सिंह चौहान,वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह की ओर से 7 जून को पेश होने के लिए दिए गए आवेदन को भी कोर्ट ने निरस्त कर दिया. कोर्ट ने अब तीनों नेताओं को 7 मई 2024 को व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए आदेश दिए हैं. विशेष न्यायाधीश विश्वेश्वरी मिश्रा ने यह आदेश जारी किया. वहीं कोर्ट ने कहा कि 'बीजेपी के सभी वरिष्ठ नेता कोर्ट के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित कर आमजन में अनुकरणीय आचरण पेश करें. व्यक्तिगत व्यस्तता से कोर्ट के आदेशों का पालन न करने से आम जन के मानसिक पटल पर प्रभाव पड़ेगा.'
दरअसल शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेन्द्र सिंह की तरफ से पेश वकील ने एक आवेदन कोर्ट में प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि वह बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं और इस समय चुनाव चल रहे हैं. इसलिए व्यस्तता के चलते खुद कोर्ट में उपस्थित होने में असमर्थ हैं. कोर्ट ने आवेदन पत्र पर नाराजगी जताई और इसे अस्वीकार करते हुए वकील को फटकार लगाई. अब मामले की अगली सुनवाई 7 मई को होगी, जिसमें तीनों नेताओं को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा.
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि राज्य सभा सदस्य तन्खा द्वारा एमपी-एमएलए कोर्ट जबलपुर में पूर्व सीएम शिवराज सिंह, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और विधायक भूपेंद्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ की मानहानि का परिवाद दायर किया गया है. इसमें आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संबंधित उन्होंने कोई प्रतिकूल बात नहीं कही थी. उन्होंने मध्य प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव मामले में परिसीमन और रोटेशन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी.
कोर्ट ने चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी तो शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह ने उनके खिलाफ गलत आरोप लगाकर उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया. 20 जनवरी 2024 को कोर्ट ने तीनों नेताओं को धारा 500 का दोषी मानते हुए प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए थे. इस आदेश के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई थी, जिसमें तीनो नेताओं को अंतरिम राहत नहीं मिली