MP News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच (MP High Court Gwalior Bench) ने कोर्ट की रोक के बावजूद जीएनएम (General Nursing and Midwifery) की परीक्षा कराने पर सख्त ऐतराज जताया है. इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस रोहित आर्या ने (Justice Rohit Arya) चेतावनी देते हुए कहा,"मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज एक बहुत बड़ा घोटाला बन चुके हैं.मैं स्पष्ट कर दूं कि अगर सीबीआई रिपोर्ट (CBI Report) में ये देखने को मिला कि कॉलेज अस्तित्व में नहीं हैं या फिर उनमें भारी खामियां हैं,तो मैं किसी को छोडूंगा नहीं ?"


एमपी में नर्सिंग कालेजों का फर्जीवाड़ा


यहां बताते चले कि नर्सिंग कालेज फर्जीवाड़े के मामले में हाई कोर्ट के निर्देश पर 364 कॉलेजों की सीबीआई जांच की जा रही है. इसी  बीच 20 हजार छात्र-छात्राओं की जीएनएम की परीक्षा करा ली गई. मंगलवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने बेहद तल्ख लहजे में नाराजगी जताते हुए यह तक कह दिया कि राज्य के डीएमई (Director Medical Education) क्लर्क बनने के भी लायक नहीं हैं.


जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस संजीव एस कालगांवकर की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि एमपी नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल (MPNRC) बेलगाम घोड़ा हो गई है. स्टेट इसमें कुछ नहीं कर सकता.इन्होंने कानून की गरिमा को हानि पहुंचाई है.जस्टिस रोहित आर्या ने सवाल उठाते हुए कहा,"देखिए, आप छात्रों के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं. ये छात्र भी पढ़ाई के एवज में भारी भरकम राशि का भुगतान कर रहे हैं, जबकि इनमें से कई कॉलेज तो हैं ही नहीं.कई में टीचर ही नहीं है.ये नर्सिंग कॉलेज शैक्षणिक दुकानों से भी बदतर हैं.इन सबके बावजूद आपने 20 हजार छात्रों की जीएनएम परीक्षा ले ली."


डीएमई पर की यह सख्त टिप्पणी


हाईकोर्ट की बेंच ने इस संबंध में जब अतिरिक्त महाधिवक्ता खेडकर से पूछा कि परीक्षा आयोजित कराने का निर्णय कौन लेता है, तो उन्होंने बताया कि विभाग और डीएमई. इस पर कोर्ट ने कहा,"ये डीएमई क्लर्क बनने के भी लायक नहीं है." जस्टिस रोहित आर्य ने अंत में चेतावनी देते हुए कहा, ''खामी मिली तो किसी को नहीं छोडूंगा.''


दरअसल,ग्वालियर की लॉर्ड एजुकेशनल ऐंड वेलफेयर सोसायटी ने अपनी याचिका में नर्सिंग कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों को अन्य कॉलेज में ट्रांसफर करने की गुहार लगाई थी.कोर्ट को बताया गया कि 19 अप्रैल 2022 को कॉलेज को मान्यता प्रदान की गई और 16 जून 2022 को उसे वापस ले लिया गया. बच्चों को अन्य कॉलेजों में ट्रांसफर करने के लिए एमपीएनआरसी में भी अभ्यावेदन दिया गया, लेकिन उसमें देरी हो रही है.कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सीधे राहत नहीं दी और एमपीएनआरसी को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का शीघ्र निराकरण करने का निर्देश दिया.कोर्ट ने सीबीआई जांच के बीच जीएनएम परीक्षा आयोजित कराने पर कड़ी नाराजगी जताई.


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