MP High Court News: क्या मध्य प्रदेश में राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में स्थानीय आवेदकों को 100 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है? यह सवाल हाई कोर्ट (MP HIGH COURT) में एक याचिका के माध्यम से उठाया गया है. इस पर मध्य प्रदेश के हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और एमपीपीएससी जवाब मांगा है. 


हाई कोर्ट ने राज्य सरकार (STATE GOVERNMENT) और एमपीपीएससी (MPPSC) से पूछा है कि पीएससी की परीक्षा में प्रदेश के निवासियों को शत-प्रतिशत आरक्षण क्यों दिया जा रहा है? जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने पीएससी, रोजगार संचालनालय और मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस जारी कर 8 मार्च तक जवाब मांगा है.


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झारखंड निवासी आदम खान की ओर से अधिवक्ता निखिल भट्ट ने कोर्ट को बताया कि एमपीपीएससी की प्राथमिक परीक्षा में शामिल होने के लिए मध्य प्रदेश के रोजगार पोर्टल में पंजीयन होना अनिवार्य है, लेकिन रोजगार पोर्टल के नियम अनुसार वही अभ्यर्थी पोर्टल पर रजिस्टर कर सकते हैं, जो मध्य प्रदेश के निवासी हों. पोर्टल पर सिर्फ मध्य प्रदेश के जिलों के नाम ही अंकित हैं.


इस कारण मध्य प्रदेश के बाहर के अभ्यर्थी अपना नाम पोर्टल पर रजिस्टर नहीं कर सकते. अधिवक्ता निखिल भट्ट ने तर्क दिया कि इस आधार पर एमपीपीएससी की परीक्षा में मध्य प्रदेश के रहवासी आवेदकों के लिए 100 फीसदी आरक्षण हो गया है, जो कि संविधान के विपरीत है. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए राज्य शासन और एमपीपीएस से 8 मार्च तक जवाब मांगा है.


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