MP High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सीबीआई से नर्सिंग कालेज फर्जीवाड़े की जांच 15 दिन में पूरी करने के आदेश दिए हैं. इस मामले में चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच में गुरुवार (4 जनवरी) को सुनवाई हुई. इस दौरान सीबीआई ने 254 कॉलेजों की अंतरिम जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में हाईकोर्ट में पेश की.


यहां बताते चलें कि नर्सिंग फर्जीवाड़े से जुड़ी लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की जनहित याचिका के साथ लगभग 50 मामलों की एक साथ सुनवाई मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में हुई.सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध लगभग 50 नर्सिंग कॉलेजों की जांच होना शेष है. इसके अलावा अन्य 50 कॉलेजों की जांच पर सुप्रीम कोर्ट की रोक लगी है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने शेष बचे 50 कॉलेज की जांच के लिए 1 महीने की मोहलत मांगी लेकिन बच्चों के भविष्य को देखते हुए कोर्ट ने सीबीआई को सिर्फ 15 दिन की और मोहलत दी.


गौरतलब है कि अभी सीबीआई द्वारा जिन नर्सिंग कॉलेजों की जांच की जा रही है, वह मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर से संबंधित कॉलेज है. ये सभी नर्सिंग के डिग्री कोर्स संचालित करते हैं.
इसके अलावा मध्य प्रदेश में चल रहे डिप्लोमा नर्सिंग कॉलेज भी इस जांच के दायरे में शामिल है,जिनका सर्वोसर्वा मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल है. ऐसे कॉलेजों की संख्या भी लगभग 300 है, जिनकी जांच अभी बाकी है. इस मामले में हाई कोर्ट के आदेश पर नर्सिंग काउंसिल की पूर्व रजिस्टर को सरकार ने रातों-रात पद से हटा दिया था.


दरअसल,एमपी लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन की ओर से साल 2021 में यह मामला दायर किया गया था. इसमें प्रदेश में फर्जी तरीके से नर्सिंग कॉलेजों के संचालन को चुनौती दी गई है.याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में कई ऐसे नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई, वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. अधिकांश कॉलेजों की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक साधन नहीं है. बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है.इसके अलावा एक ही फैकल्टी को कई कॉलेजों में दर्शाया गया है.


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