(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का आदेश, कहा- तत्काल काम पर लौटें
MP High Court News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ हुई घटना के विरोध में हड़ताल वापस लेने का निर्देश दिया. लेकिन तत्काल हड़ताल वापस लें.
MP News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शनिवार (17 अगस्त) को राज्य में प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को निर्देश दिया कि वे कोलकाता में एक युवा डॉक्टर के साथ हुए कथित बलात्कार और उसकी हत्या के विरोध में अपनी हड़ताल तत्काल वापस लें और काम पर लौट आएं.
शुक्रवार (16 अगस्त) से ही राज्य भर के डॉक्टरों ने राष्ट्रव्यापी विरोध के तहत आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर काम को बंद कर रखा है. याचिकाकर्ता द्वारा प्रतिवादी बनाए जाने की मांग के बाद हाई कोर्ट ने ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए)’, मध्यप्रदेश शासकीय और स्वास्थ्य चिकित्सा महासंघ, प्रांतीय संविदा चिकित्सा अधिकारी संघ और जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन(मध्य प्रदेश) को भी नोटिस जारी किए.
कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन, गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल की ओर से अधिवक्ता महेंद्र पटेरिया द्वारा दिए गए इस आश्वासन को स्वीकार कर लिया कि उनकी हड़ताल तुरंत वापस ले ली जाएगी.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति राज मोहन की खंडपीठ ने कहा, 'राज्य सरकार की ओर से दिए गए आश्वासन के मद्देनजर, हम जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन, मध्य प्रदेश से भी हड़ताल वापस लेने और काम पर लौटने का आग्रह करते हैं.'
कोर्ट नरसिंहपुर जिले के अंशुल तिवारी द्वारा हड़ताल को चुनौती देते हुए दायर की गयी याचिका पर सुनवाई कर रहा था. अधिवक्ता पटेरिया ने कहा कि प्रदर्शनकारी डॉक्टर सुनवाई की अगली तारीख को अपनी शिकायतों की सूची पेश करेंगे.
कोर्ट के आदेश में कहा गया है, 'उन्हें अपनी शिकायतों और मुद्दों को सुनवाई की अगली तारीख को इस न्यायालय के समक्ष रखने की अनुमति है.' हाई कोर्ट ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (मध्य प्रदेश), राज्य सरकार की ओर से दिए गए आश्वासन पर उचित भरोसा करेगा और हड़ताल के अपने आह्वान को तुरंत वापस लेगा ताकि यह अदालत मुद्दों पर आगे विचार कर सके.’’
खंडपीठ ने कहा, 'इस बीच, वह यह सुनिश्चित करेगी कि तत्काल ध्यान और उपचार की आवश्यकता वाले किसी भी मरीज को मना न किया जाए.’’
अतिरिक्त महाधिवक्ता एच एस रूपरा ने केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश का हवाला देते हुए चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिया कि ड्यूटी के दौरान किसी भी स्वास्थ्यकर्मी के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा की स्थिति में, संस्थान के प्रमुख को छह घंटे के भीतर संस्थागत प्राथमिकी दर्ज कराने की जिम्मेदारी होगी.
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम सक्रिय रूप से उठाएगी. इसके बाद अदालत ने अगली सुनवाई 20 अगस्त को तय की. आईएमए की मध्यप्रदेश इकाई के सचिव डॉ पुष्पराज भटेले ने बताया कि एसोसिएशन अगली सुनवाई में अपना जवाब पेश करेगी.
पिछले साल, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य में डॉक्टरों के संघों को निर्देश दिया था कि वे बिना अनुमति के हड़ताल पर नहीं जाएंगे, चाहे वह सांकेतिक ही क्यों न हो. शुक्रवार को हाई कोर्ट ने संघों को इस आदेश की याद दिलाई.
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