MP High Court: मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक हिन्दू लड़की से शादी करने की चाह रखने वाले मुस्लिम लड़के को हाई कोर्ट ने सुरक्षा देने का आदेश दिया है. हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़का एक दूसरे को पहले से जानते हैं और अपनी पसंद से शादी के बंधन में बंधना चाहते हैं. हालांकि, बीजेपी विधायक टी. राजा ने इसे 'लव जिहाद' करार देते हुए इस पर आपत्ति जताई थी. 


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तेलंगाना के बीजेपी विधायक टी. राजा ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को फोन कर जबलपुर के इस कपल की शादी रुकवाने की बात कही थी. उन्होंने 'लव जिहाद' का आरोप लगाते हुए सीएम मोहन यादव से दखल देने की अपील की थी. इसके एक दिन बाद ही मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पुलिस से कपल को सुरक्षा देने के आदेश दिए और कहा कि इस देश में रहने वाला हर व्यक्ति मौलिक अधिकारों का हकदार है.


एक साल से लिव-इन में था कपल
लव मैरिज की चाह रखने वाले लड़के और लड़की ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने पुलिस प्रोटेक्शन की मांग की थी. मंगलवार की शाम कपल ने याचिका में चिंता व्यक्त की थी कि महिला को उसके परिवार वाले अगवा कर सकते हैं. साथ ही, दोनों की जान को खतरा भी हो सकता है. दोनों ने ये भी बताया था कि वह एक दूसरे को चार साल से जानते हैं और एक साल से लिव-इन रिलेशन में रह रहे हैं. अब वह शादी करना चाहते हैं. 


जस्टिस विशाल धगट ने कहा कि कोर्ट का कर्तव्य है यह देखना कि कोई भी नागरिक कानून का सहारा लिए बिना अपने जीवन और स्वतंत्रता से वंचित न हो. देखा जा सकता है कि याचिकाकर्ताओं को जान का खतरा होने की आशंका है. ऐसे में जबलपुर के एसपी को निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता महिला को पुलिस प्रोटेक्शन में उसके घर तक ले जाया जाए, वहां से उसका सामान लेकर उसे महिला संरक्षण केंद्र भेजा जाए.


वहीं, महिला के परिवार की ओर से एडवोकेट का कहना था कि उसे ब्रेनवॉश कर के लव जिहाद में फंसाया जा रहा है. इसलिए कोर्ट से अपील की गई थी कि महिला को लड़के या उसके किसी रिश्तेदार के साथ न रहने दिया जाए. इससे उसके फैसला प्रभावित हो सकता है. वहीं, रिश्तेदारों का यह भी कहना था कि इस्लाम के कानून के हिसाब से यह शादी वैध नहीं मानी जाएगी. 


सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस ने यह फैसला लिया कि फिलहाल महिला को लोकल शेल्टर में रखा जाएगा, जहां वह अपने पार्टनर के संपर्क में नहीं होगी, ताकि वह स्वतंत्र होकर यह फैसला ले सके कि वह सच में मुस्लिम युवक से शादी करना चाहती है या नहीं. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता मुस्लिम युवक को भी सुरक्षा दी जाए और उसकी सुरक्षा के लिए पुलिस उसे ऐसी जगह ले जाए, जिसकी जानकारी किसी को न हो. जब परिस्थितियां अनुकूल बन जाएंगे, तब युवक को उसके घर और परिवार के पास लाया जाएगा.


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