MP High Court News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने भ्रष्टाचारी को पकड़वाने वाले एक निडर शिक्षक के खिलाफ दर्ज एफआईआर (FIR) को निरस्त करने का आदेश दिया है. इस मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, 'भ्रष्टाचार समाज में कैंसर की तरह फैल रहा है और इसे उजागर करने वालों को ही परेशान किया जाता है.'


जस्टिस जी एस अहलूवालिया की कोर्ट ने आगे कहा कि,सरकार कथित तौर पर भ्रष्ट आचरण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय भ्रष्टाचार की शिकायत करने वालों को ही हतोत्साहित करने में लगी है. कोर्ट ने शिक्षक के खिलाफ एफआईआर करने वाले बालाघाट के आदिवासी कल्याण एवं जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त राहुल नायक पर 25 हजार रुपए की कॉस्ट भी लगाई है. कोर्ट ने अधिकारी को कॉस्ट की राशि दो माह में हाई कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने के निर्देश दिए हैं और कहा है कि ऐसा नहीं करने पर सहायक आयुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी.


इस मामले में आयुक्त ने शिक्षक पर दर्ज करवा था एफआईआर
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने माना कि विभाग में भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले शिक्षक को सहायक आयुक्त ने परेशान किया है. इस पर कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि सहायक आयुक्त के आचरण की जांच कर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई कर रजिस्ट्री को सूचित करें. दरअसल, बालाघाट में पदस्थ शिक्षक धरम दास भालेकर ने याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने 2013 में तत्कालीन सहायक आयुक्त आनंद मिश्रा के कहने पर रिश्वत के रूप में संस्था का पैसा एक क्लर्क को दिया था. लोकायुक्त ने रिश्वतखोर कर्मचारी को रंगे हाथ पकड़ा था.


याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि अब दस वर्ष बाद वर्तमान सहायक आयुक्त ने याचिकाकर्ता पर उसकी रिकवरी निकाल दी. इतना ही नहीं उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवा दी गई. सुनवाई के बाद जस्टिस जीएस आहलूवालिया की एकलपीठ ने निडर शिक्षक धरम दास भालेकर के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त कर दिया. 


अवमानना मामले में पूर्व कलेक्टर दोषी करार


मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अवमानना के मामले में छतरपुर के तत्कालीन कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और मुख्य कार्यपालन अधिकारी अमर बहादुर सिंह को दोषी करार दिया है.छतरपुर जनपद पंचायत छतरपुर में पदस्थ ब्लॉक समन्वयक के तबादले में हाईकोर्ट की अंतरिम रोक के बाद भी उनकी सेवाएं समाप्त करने के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सिंगल बेंच ने यह निर्णय दिया है. हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने तत्कालीन कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ को दंडित किए जाने के लिए फैसला सुरक्षित रखा है. जस्टिस अहलूवालिया ने फैसले के लिए निर्धारित तारीख 11 अगस्त को दोनों को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित रहने के आदेश दिए हैं.


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