MP News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने शहडोल में शेयर ब्रोकर द्वारा निवेशकों के साथ एक करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में पुलिस करवाई पर सवालिया निशान लगाया है. हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने आरोपी को लाभ पहुंचाने की नीयत से आरबीआई एक्ट व अन्य धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध नहीं किया. इस मत के साथ हाई कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका भी खारिज कर दी.


मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने कहा कि दस्तावेजों से स्पष्ट है कि आरोपी संजय सिंह ने बिना किसी वैध लाइसेंस और शासकीय अनुमति के शेयर मार्केट में लोगों से बड़ा निवेश करवाया था.


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एसपी से 45 दिन के भीतर रिपोर्ट तलब 


हाई कोर्ट ने शहडोल के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए कि कोतवाली थाने में पदस्थ तत्कालीन दोषी अधिकारियों एएसआई एमपी सिंह, एसआई उमाशंकर यादव, निरीक्षक कमलेन्द्र सिंह कर्चुली, निरीक्षक रावेन्द्र द्विवेदी, एसआई एमपी अहिरवार और निरीक्षक राजेश चंद्र मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई करें. कोर्ट ने एसपी से 45 दिन के भीतर उक्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करके रिपोर्ट भी तलब की है. कोर्ट ने आरोपी संजय सिंह बघेल को दूसरी बार जमानत देने से भी इनकार कर दिया.


इस मामले में आरोपी संजय सिंह ने दूसरी बार जमानत अर्जी दायर कर बताया कि वह 22 फरवरी 2021 से जेल में बंद है. वह रजिस्टर्ड शेयर ब्रोकर है और उसके पास डीमेट अकाउंट है. ट्रायल में समय लगेगा इसलिए उसे जमानत दी जाए. आपत्तिकर्ता की ओर से अधिवक्ता योगेश सोनी ने बताया कि प्रकरण 2015 में दर्ज हुआ था. आरोपी सात साल फरार रहा. एक करोड़ रुपए के गबन का मामला है, अगर जमानत दी गई तो वह फिर से फरार हो जाएगा.


हाई कोर्ट के निर्देश पर वर्तमान एसएचओ रत्नांबर प्रसाद शुक्ला सुनवाई के दौरान हाजिर हुए. कोर्ट ने उनसे पूछा कि आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी की सामान्य धाराएं लगी हैं, क्या वित्तीय अनियमितता की अन्य धाराएं भी लगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मामले की जांच उनके पूर्व के अधिकारियों ने की है. कोर्ट के निर्देश पर शुक्ला ने सभी पूर्व अधिकारियों के नाम पेश किए.


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