बैंड न बजाने पर सस्पेंड कॉन्स्टेबल्स ने खटखटाया HC का दरवाजा, कोर्ट ने सुनाया ये फैसला
MP News in HIndi: एमपी हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने कहा कि जब जनता पुलिस को सांस्कृतिक और औपचारिक कार्यक्रमों में आमंत्रित करती है तो पुलिस बैंड महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के पांच जिलों के 25 पुलिस कॉन्स्टेबल को बैंड न बजाने पर सस्पेंड किया गया है. इन सिपाहियों ने 15 अगस्त की परेड के लिए बैंड प्रशिक्षण में जाने से मना कर दिया था. प्रदेश के पांच जिले मंदसौर, रायसेन, खंडवा, हरदा और सीधी जिले के 25 कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया गया है. सस्पेंशन आदेशों में सिपाहियों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया गया.
आदेश में कहा गया कि सस्पेंशन अवधि के दौरान सिपाही नियमों के अनुसार गुजारा भत्ता के हकदार होंगे. वह पुलिस अधीक्षक की अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे. रायसेन के पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने बताया कि "सिपाहियों को बैंड प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह गायब हो गए. इसके बाद उन्हें सस्पेंशन नोटिस दिया गया और पुलिस लाइन में रहने का आदेश दिया गया, लेकिन वह अभी तक नहीं आए हैं."
वहीं इस आदेश के बाद कई सिपाहियों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर और ग्वालियर बेंच में याचिका दायर की. जिसमें कहा गया कि उन्होंने पुलिस बैंड में शामिल होने के लिए न तो अपनी सहमति दी थी, न ही उन्होंने इस संबंध में कोई आवेदन दायर किया था. वह कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में रुचि रखते हैं.
सिपाहियों ने दिया ये तर्क
सिपाहियों ने तर्क दिया था कि पुलिस बैंड के हिस्से के रूप में उनके नाम का उल्लेख करने वाला आदेश अवैध था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सीनियर अधिकारी उनपर दबाव बना रहे हैं. वहीं पुलिस ने हाई कोर्ट में कहा कि सिपाहियों से पहले लिखित सहमति मांगी गई थी, लेकिन किसी ने भी सहमति नहीं दी, जिसके कारण एक सामान्य नोटिस जारी किया गया.
कोर्ट ने खारिज की याचिका
इसके बाद उस समय (29 मई) के ग्वालियर बेंच के जस्टिस आनंद पाठक ने पांचों सिपाहियों की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा जब जनता उन्हें सांस्कृतिक और औपचारिक कार्यक्रमों में आमंत्रित करती है तो पुलिस बैंड महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस प्रशिक्षण को निरंतर कौशल संवर्धन कार्यक्रम के रूप में माना जा सकता है, इसलिए याचिकाकर्ताओं से पहले से सहमति लेने की जरूरत नहीं है.
सीएम मोहन यादव ने शुरू की ये पहले
कोर्ट ने आगे कहा कि पुलिस एक अनुशासित बल है और इसलिए याचिकाकर्ताओं यह दलील नहीं दे सकते कि वे अपनी सहमति के अनुसार कर्तव्यों का पालन करने के हकदार हैं. वहीं कोर्ट के फैसले के बाद एक अगस्त को जबलपुर के तीन कॉन्स्टेबलों ने अपनी याचिका वापस ले ली. दरअसल, मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव की पहल के बाद पुलिस बैंड की शुरुआत हो रही है. प्रदेश में करीब 330 पुलिसकर्मी पुलिस बैंड के सदस्य के रूप में प्रशिक्षित हुए हैं. यह सभी स्वतंत्रता दिवस पर विभिन्न जिलों में प्रस्तुति देंगे.
वहीं बीते दिन सोमवार को भी उज्जैन में महाकाल की द्वितीय सवारी पर पुलिस बैंड ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी थी. 10 जनवरी से शुरू 90 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश विशेष सशस्त्र बल के ट्रेनिंग सेंटर सातवीं वाहिनी भोपाल में 100, प्रथम वाहिनी इंदौर में 107 और छठीं वाहिनी जबलपुर में 123 पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को बैंड वादन और वाद्ययंत्रों का गहन प्रशिक्षण दिया गया.
इन 330 प्रशिक्षुओं में प्रदेश की सभी बटालियनों के पुलिसकर्मियों को सम्मिलित किया गया, ताकि सभी इकाइयों में बैंड स्थापना के लक्ष्य को जल्द पूरा किया जा सके. प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रदेश के 49 जिलों में 15 अगस्त की परेड को गौरवपूर्ण बनाने के लिए अपने-अपने जिलों में भेजा गया. मध्य प्रदेश में छह जिलों में पहले से ही बैंड दल गठित है. इस प्रकार इस साल प्रदेश के सभी 55 जिलों में बैंड दल के साथ स्वतंत्रता दिवस परेड संपन्न की जाएगी.