जबलपुर: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) ने शहर के न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल (New Life Multispeciality Hospital) में लगी आग मामले में राज्य सरकार की कार्रवाई को आड़े हाथों लिया है. अदालत ने कहा है कि सरकार की करवाई संतोषजनक नहीं है.यहां बता दें कि इस अग्नि हादसे में आठ लोगों की जलकर मौत हो गई थी. इस मामले के दो मुख्य आरोपी अभी भी फरार हैं. वहीं एक स्थानीय अदालत ने इस मामले के दो आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया है.


अदालत ने क्या टिप्पणी की है


मामले में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सरकार से सीधे पूछा कि अस्पताल भवन को उपयुक्त बताने वाले निलंबित चिकित्सक और अन्य को एफआईआर में आरोपी क्यों नहीं बनाया गया? चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने पुलिस की जांच रिपोर्ट व वस्तुस्थिति सील बंद लिफाफे में पेश करने के निर्देश दिए हैं.संभाग आयुक्त को भी जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है.कोर्ट ने कहा कि अगली बार भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो स्वतंत्र जांच एजेंसी नियुक्त करने पर विचार होगा.इस मामले की अगली सुनवाई एक सितंबर को होगी.


एमपी लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल ने एक जनहित याचिका दायर कर जबलपुर में चल रहे नियम विरुद्ध अस्पतालों का मामला उठाया था. बुधवार को सुनवाई में राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता भरत सिंह ने शपथ पत्र पेश कर बताया कि घटना की जांच के लिए संभागायुक्त के नेतृत्व में टीम बनाई गई है.कोर्ट ने पूछा कि न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का निरीक्षण करने वाले और अस्पताल भवन को उपयुक्त बताने वाले निलंबित चिकित्सक और अन्य को एफआईआर में आरोपी क्यों नहीं बनाया गया? इस पर सरकार की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिला. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई. सरकार ने भागायुक्त की जांच अगले कुछ दिनों में पूरी होने का आश्वासन दिया. इसे कोर्ट ने रिकॉर्ड पर लेते हुए अगली सुनवाई में संभागायुक्त की जांच रिपोर्ट और पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से संबंधित पूरी रिपोर्ट बंद लिफाफे में पेश करने के निर्देश दिए.याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने बहस की.


अभी भी फरार हैं अस्पताल के दो डायरेक्टर


न्यू लाइफ मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के दो आरोपी डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश पटेल और निशिंत गुप्ता घटना के 25 दिन बाद भी फरार हैं.हालांकि उनकी गिरफ्तारी पर पुलिस ने इनाम घोषित किया है, लेकिन गिरफ्तारी न होना कई तरह के सवाल पैदा कर रही है.कहा जा रहा है कि आरोपियों को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भी पर्दे के पीछे से मदद कर रहा है.लोग यह भी कह रहे है कि प्रशासन का बुलडोजर इनके घरों तक क्यों नहीं पहुंचा?


दो डॉक्टरों की जमानत अर्जियां हुईं खारिज


वहीं जबलपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र प्रताप सिंह चुंडावत की अदालत ने न्यू लाइफ मल्टी स्पेशिएलिटी अस्पताल के डॉ.संतोष सोनी और डॉ.संजय जैन की जमानत अर्जियां निरस्त कर दीं हैं.अभियोजन की ओर से लोक अभियोजक अशोक पटेल व अपर लोक अभियोजक संजय वर्मा ने जमानत अर्जियों का विरोध किया. उन्होंने दलील दी कि जबलपुर के चंडाल भाटा क्षेत्र में अस्पताल में आग लगने से आठ लोगों की जान चली गई थी. अग्निकांड लापरवाही का परिणाम था इसलिए आवेदकों को जमानत नहीं दी जानी चाहिए.इस तरह के बेहद गंभीर मामले में जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा.


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