Jabalpur News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट, हेलमेट और सीट बेल्ट की अनिवार्यता के मामले में प्रदेश के परिवहन आयुक्त अरविंद सक्सेना और एडीजीपी को ओपन कोर्ट में जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने पूर्व में जो अंडरटेकिंग दी थी, उसका पालन नहीं किया गया. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रवि मलिमठ ने कहा कि हमने बहुत समय दिया, लेकिन आपने किया क्या? ओपन कोर्ट में तल्ख टिप्पणी करते हुए चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि क्या आप कानून से ऊपर हैं?
चीफ जस्टिस रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने दोनों अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर यह स्पष्टीकरण पेश करने के निर्देश दिए. बेंच ने पूछा कि आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया? कोर्ट के निर्देश पर दोनों अधिकारी बुधवार (17 जनवरी) को सुनवाई के दौरान उपस्थित हुए थे. मामले पर अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी. राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता हरप्रीत रूपराह ने पक्ष रखा.
सरकार ने अंडरटेकिंग क्या कहा?
दरअसल, जुलाई माह में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य शासन ने अंडरटेकिंग दिया था कि आगामी 6 माह के भीतर प्रदेश के प्रत्येक वाहन में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लग जाएगी. इसी तरह प्रत्येक दोपहिया वाहन चालक के सिर पर हेलमेट होगा और कार चालक सीट बेल्ट लगाएगा. सरकार ने अंडरटेकिंग ने ये भी जिक्र किया था कि 15 जनवरी 2024 के बाद यदि एक भी वाहन चालक उक्त नियमों का उल्लंघन करता है तो परिवहन आयुक्त और एडीशनल इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस अवमानना की कार्रवाई के लिए जिम्मेदार होंगे. इसके पहले राज्य शासन की ओर से मंगलवार (16 जनवरी) को सुनवाई के दौरान पालन प्रतिवेदन पेश किया गया और पूर्ण पालन के लिए अतिरिक्त मोहलत मांगी गई थी, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया.
'नियमों का धरातल पर नहीं हो रहा पालन'
यहां बता दें कि ग्वालियर की विधि छात्रा ऐश्वर्या शान्डिल्य ने साल 2021 में ग्वालियर बेंच में जनहित याचिका दायर किया था. मामले की गंभीरता और व्यापकता को देखते हुए चीफ जस्टिस ने यह याचिका ग्वालियर पीठ से मुख्यपीठ जबलपुर स्थानांतरित कर दिया. याचिकाकर्ता की ओर से ग्वालियर के अधिवक्ता अवधेश सिंह तोमर ने बताया कि मोटर व्हीकल एक्ट और रूल्स में दोपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य है.
उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग ने एक परिपत्र जारी कर कहा था कि जिस एजेंसी से वाहन खरीदा जाए, वहीं से क्रेता को हेलमेट भी बेचा जाए. याचिका में बताया गया कि प्रदेश में केवल कागजों में कार्रवाई हो रही है, धरातल पर नियमों का पालन नहीं हो रहा.
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