MP News: बोरवेल में बच्चों की मौत पर एमपी हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, चीफ सेक्रेटरी से चार हफ्तों में मांगा जवाब
MP High Court: मध्य प्रदेश में खुले नलकूपों में छोटे बच्चों के गिरने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है.
MP High Court on Borewell Incident: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में बोरवेल (Borewell) में बच्चों के गिरने की घटनाओं को हाईकोर्ट (MP High Court) ने गंभीरता से लिया है. इस मामले में हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान (Suo Moto) लेकर एक जनहित याचिका (PIL) दायर की है. चीफ जस्टिस रवि मलिमठ (Chief Justice Ravi Malimath) और जस्टिस विशाल मिश्रा ( Justice Vishal Mishra) की खंडपीठ ने मुख्य सचिव और पीएचई विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
यहां बताते चलें कि सिहोर जिले के मुगावली गांव में 6 जून 2023 को सृष्टि नाम की तीन साल की बच्ची खेलते समय एक बोरवेल में गिर गई थी. वह खुले बोरवेल में 40 फीट पर जाकर फंस गई थी. बाद में बचाव अभियान में इस्तेमाल की जा रहीं मशीनों के कंपन से वह 100 फीट गहराई तक पहुंच गई. दो दिन बाद यानी 8 जून 2023 को 50 घंटे बाद उसे बेहोशी की हालत में रेस्क्यू किया गया और बाद में अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने बोरवेल की घटनाओं पर क्या कहा?
दरसअल सुप्रीम कोर्ट ने भी 2009 में छोटे बच्चों के खुले नलकूपों में गिरने के कारण होने वाली घातक दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय के लिए सभी राज्यों को निर्देश जारी किए थे. देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि सरकार के लिए स्थिति की गंभीरता को पहचानना और व्यापक सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन को प्राथमिकता देना अनिवार्य है. इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए व्यवस्थित और निरंतर प्रयासों की अत्यंत आवश्यकता है. इसके अतिरिक्त, सरकार को बोरवेल से जुड़े जोखिमों और बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में समुदायों को शिक्षित करने के लिए जन जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए. सूचना प्रसार के साथ व्यक्तियों को ज्ञान और संसाधनों के साथ सशक्त बनाने के प्रयास होने चाहिए, जिससे वे अपनी और अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 4 हफ्ते में मांगा जवाब
इसके बावजूद भी मध्य प्रदेश में खुले नलकूपों में छोटे बच्चों के गिरने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अब स्वतः संज्ञान जनहित याचिका के माध्यम से इस मामले को सुनने का फैसला किया है. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी के साथ पीएचई विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी से भी 4 हफ्ते में जवाब मांगा है. माना जा रहा है कि अब इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट राज्य सरकार को कोई सख्त आदेश जारी कर सकता है.
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