Indore News: मध्य प्रदेश के इंदौर के बेलेश्वर महादेव मंदिर हादसे पर हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है. बावड़ी हादसे को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में जनहित याचिका दायर की गई थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला सुनाया है. शुक्रवार (19 जनवरी) को सुनावाई के दौरान न्यायिक जांच में की गई देरी पर सवाल खड़ा करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति अनिल वर्मा और न्यायमूर्ति विवेक रूसिया की डबल बेंच ने सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि जब न्यायिक जांच 11 जुलाई 2023 को पूरी हो गई थी, तो उसे समय रहते पेश नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.
कोर्ट ने कहा कि इसे जनता में भी सार्वजनिक नहीं किया गया. यहां तक की इस पर विभागीय जांच और कोई कार्रवाई तक नहीं की गई. एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इंदौर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है. इस मामले में जिला कोर्ट में क्रिमिनल केस भी चलेगा. बताया जा रहा है कि पुलिस ने क्रिमिनल मामले में अभी चालान पेश नहीं किया है, जो करना बाकी है. पुलिस ने इस मामले में अभी तक किसी को गिरफ्तार भी नहीं किया है. इसके अलावा धारा 41 का नोटिस भी नहीं दिया गया है. हाईकोर्ट ने सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद कहा कि पुलिस इस मामले में जल्द कार्रवाई पूरी करे.
एक साल के पहले पूरी हो कार्रवाई
सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इंदौर नगर निगम और जूनी इंदौर थाना पुलिस को डिप्टी पुलिस कमिश्नर जूनी इंदौर जोन की मॉनिटरिंग में जांच को 30 मार्च से पहले पूरा करने का आदेश दिया है. आपको बता दें कि 30 मार्च 2024 को इस घटना को एक साल हो जाएगा. मामले की सुनवाई के दौरान पीड़ितों के मुआवजे के मामले को लेकर हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि जहां तक मुआवजे की बात है, तो पीड़ित पक्ष उचित फोरम में जाकर मुआवजे की मांग कर सकते हैं.
'कुएं-बावड़ियों को पुनर्जीवित करना जरुरी'
इधर इंदौर के कुएं और बावड़ियों को बंद करने के मामले में अधिवक्ता मनीष यादव ने बताया कि हाईकोर्ट ने शहर के कुएं और बावड़ी को पुनर्जीवित करने के निर्देश भी दिए हैं. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने तत्काल प्रभाव से नगर निगम को यह आदेश दिया है कि इंदौर शहर के कुएं और बावड़ी ऐतिहासिक महत्व और सम्मान का विषय है, राजा रजवाड़ों द्वारा इन्हें जल प्रबंधन और प्राकृतिक जल स्रोत के रूप में बनवाया गया था. इसलिए इनका रखरखाव और पुनर्जीवित करना बहुत जरूरी है.
हाईकोर्ट से की गई हस्तक्षेफ की मांग
आपको बता दें कि पूर्व पार्षद महेश गर्ग, कांग्रेस नेता प्रमोद द्विवेदी और एडवोकेट मनीष यादव के साथ अदिति मनीष यादव के जरिए दो अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई थी. याचिकाकर्ताओं से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई थी. इस मामले में मृतकों के परिवारों को 25 लाख रुपये का मुआवजा, बावड़ी और कुएं से अवैध कब्जा से हटाने की मांग की गई थी. इसके अलावा हाईकोर्ट की निगरानी में गठित कमेटी से इस पूरे प्रकरण की जांच की मांग भी की गई थी.
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