Bhopal: मध्य प्रदेश में बीजेपी ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कदमताल तेज कर दी है. अब उसकी नजर आदिवासी वोट बैंक पर है और यही कारण है कि पार्टी के प्रमुख नेताओं के राज्य के दौरे हो रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 22 अप्रैल को भोपाल आने वाले हैं. इस तरह बीते सात माह में पार्टी के किसी बड़े नेता का यह राज्य का तीसरा दौरा होगा. मध्य प्रदेश में 20 फीसदी से ज्यादा आदिवासी वर्ग की आबादी है और यही आबादी राज्य के चुनाव पर बड़ा असर डालती है.
बीजेपी की ये रहेगी कोशिश
बीजेपी की कोशिश इस वर्ग का दिल जीतने की है. राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है. वैसे तो यह वर्ग आबादी के हिसाब से 80 से ज्यादा सीटों पर असर डालता है. अगर इस वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों की ही बात करें तो वर्ष 2018 में हुए चुनाव में इनमें से बीजेपी सिर्फ 17 सीटें ही जीत सकी थी. कांग्रेस के खाते में 30 सीटें गई थी.
आदिवासी वर्ग के बीच संपर्क बढ़ा रही बीजेपी
बीजेपी जमीनी स्तर पर आदिवासी वर्ग के बीच अपना संपर्क लगातार बढ़ा रही है. इसके बावजूद पार्टी के प्रमुख नेताओं को लगता है कि राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की सक्रियता भी राज्य में जरूरी है. यही कारण है कि बीते साल सितंबर माह में जबलपुर में आयोजित आदिवासी वर्ग से जुड़े कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री ने हिस्सा लिया था. उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में आना हुआ था. अब एक बार फिर 22 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भोपाल आ रहे हैं और वे यहां तेंदूपत्ता संग्राहकों को बोनस का वितरण करेंगे और वन समितियों के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.
बड़ी घोषणा होने की उम्मीद
भोपाल में 22 अप्रैल को होने वाले कार्यक्रम में प्रदेश भर से जनजातीय वर्ग से जुड़े लोगों को बुलाया जा रहा है. इस मौके पर आदिवासियों की संस्कृति और उनके वैभव का भी प्रदर्शन किया जाएगा. संभावना है कि इस मौके पर आदिवासी वर्ग के लिए बड़ी घोषणा की जा सकती है.
बीजेपी का मिशन 2023
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस दौरे को बीजेपी के मिशन 2023 से जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि आगामी समय में कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, उसमें गुजरात भी शामिल है. यहां इसी साल चुनाव है. वहीं अगले साल मध्य प्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होंगे. यह ऐसे राज्य हैं जहां आदिवासी वर्ग बड़ी भूमिका निभाते हैं. परिणाम स्वरूप सियासी गणित को अपने पक्ष में बनाए रखने की बीजेपी ने कोशिशें तेज की है.
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