मध्य प्रदेश के खंडवा और हिमाचल प्रदेश के मंडी लोकसभा सीट पर 30 अक्तूबर को मतदान होगा. खंडवा सीट पर बीजेपी सांसद नंदकुमार सिंह चौहान और मंडी सीट पर बीजेपी सांसद राम स्वरूप शर्मा के निधन की वजह से उपचुनाव कराया जा रहा है. इन दोनों सीटों पर मतगणना 2 नवंबर को होगी.  


खंडवा की लड़ाई में कौन जितेगा


खंडवा लोकसभा सीट को बीजेपी की परंपरागत सीट माना जाता है. बीजेपी पहली बार खंडवा में 1989 में जीती थी. नंद कुमार सिंह चौहान उर्फ नंदू भैया ने खंडवा का सबसे अधिक समय तक प्रतिनिधित्व किया. जनता ने उन्हें 6 बार लोकसभा भेजा. बीजेपी ने उन्हें पहली बार 1996 में टिकट दिया था. और वो जीतने में कामयाब रहे. वो यहां से अगले 3 चुनाव भी जीते. लेकिन 2009 में उन्हें कांग्रेस के अरूण यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. साल 2014 की मोदी लहर में नंद कुमार सिंह चौहान एक बार फिर जीत गए. उन्होंने 2019 के चुनाव में भी खंडवा में कमल खिलाया था. 


खंडवा लोकसभा सीट पर 19 लाख 68 हजार मतदाता है. इनमें पिछड़ा वर्ग या ओबीसी के वोटरों की संख्या 5 लाख से अधिक है. वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटरों की संख्या 7 लाख 68 हजार है. 


इस उपचुनाव में कांग्रेस ने राजनारायण सिंह पुरनी को टिकट दिया है. वहीं बीजेपी ने नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्ष चौहान को टिकट न देकर ज्ञानेश्वर पाटील को उम्मीदवार बनाया है. वो खंडवा के जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं. 


कौन जीतेगा मंडी का मुकाबला 


बीजेपी सांसद राम स्वरूप शर्मा के निधन की वजह से मंडी लोकसभी सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है. यह सीट हिमाचल प्रदेश की 4 लोकसभा सीटों में सबसे हाई प्रोफाइल सीट है. पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम और राज्य के छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह मंडी ने प्रतिनिधित्व किया था. देश की पहली महिला कैबिनेट मंत्री राजकुमारी अमृत कौर भी 1951 में इसी सीट से जीती थीं. 


उपचुनाव में बीजेपी ने 1999 में करगिल युद्ध में शामिल रहे ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को मंडी के मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को टिकट दिया है. वो पार्टी में वीरभद्र सिंह की विरासत को बचाने की लड़ाई लड़ रही हैं. साल 2019 के चुनाव में बीजेपी के राम स्वरूप शर्मा ने कांग्रेस के आश्रय शर्मा को 4 लाख 5 हजार 459 वोटों के विशाल अंतर से हराया था.


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