MP News: मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी नियाज खान (IAS Niyaz Khan) की नई किताब चर्चा में है. ब्राम्हणों (Brahmins) के ज्ञान को केंद्र में रखकर लिखी गई किताब का नाम 'द ब्राह्मण ग्रेट' है. द ब्राह्मण ग्रेट किताब का प्रकाशन जल्द होनेवाला है. ब्राम्हणों पर किताब के बहाने नियाज खान चर्चा में आ गए हैं. माना जा रहा है कि चुनावी साल में आईएएस नियाजी की किताब से राजनीतिक बखेड़ा भी खड़ा हो सकता है. आइये जानते हैं उन्होंने ताजा ट्वीट में क्या लिखा है.


"मैं अपनी किताब का कवर पेज जारी कर रहा हूं. मेरी किताब के नायक, शुभेंद्र उर्फ जूनियर कौटिल्य, एक ब्राह्मण, यूएसए में सीईओ की प्रतिष्ठित नौकरी से इस्तीफा दे देता है और ब्राह्मणों के लिए अपने परिवार के साथ अपने सभी संबंध समाप्त कर लेता है. एक ऋषि के रूप में वह हर #ब्राह्मण का खोया हुआ गौरव वापस पाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं." 






किताब के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि, 'लिखने से पहले मैंने ब्राह्मणों के इतिहास का सर्वे किया. सर्वे से ब्राह्मणों की बुद्धि का पता चला. उनके मुताबिक ब्राह्मणों का आईक्यू सर्वश्रेष्ठ है.' मीडिया से चर्चा में नियाज खान ने कहा कि,'मैं मुस्लिम होते हुए भी ब्राह्मणों से बहुत प्रभावित हूं. नियाज खान ने किताब में लिखा है कि किस तरह से आज के दौर में ब्राह्मण सुविधाओं से वंचित हैं और मुख्यधारा से पीछे धकेल दिए गए हैं. ब्राह्मणों को उचित उच्च स्थानों पर बैठाने से देश एक बार फिर वैभवशाली इतिहास दोहरा सकेगा.' उन्होंने ब्राह्मणों को हर फील्ड में उचित स्थान देने की वकालत की.


चर्चा में कई उदाहरण देते हुए नियाजी ने कहा कि भारत के पिछले तीन हजार साल का इतिहास देखने पर खुलासा हुआ कि ब्राह्मणों की भूमिका अहम रही है. बताया जाता है कि आईएएस नियाज खान की किताब का विमोचन अगले महीने हो सकता है. उन्होंने हिन्दू धर्म के शंकराचार्य और आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत से विमोचन का आग्रह किया है. आईएएस अधिकारी नियाज खान फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) पर निर्देशक विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) के साथ ट्विटर पर आरोप-प्रत्यारोप से चर्चा में आये थे.


विवाद बढ़ने के बाद गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने नियाजी को नसीहत देते हुए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था. चुनावी साल में किताब से राजनीतिक बखेड़ा के सवाल पर जबलपुर में वरिष्ठ पत्रकार रविन्द्र दुबे का कहना है कि आज के दौर में ब्राम्हण समाज राजनीतिक तौर पर हाशिये ये में खड़ा है. ब्राम्हणों का महिमा मंडन करती नियाजी की किताब उनकी दबी इच्छाओं को उभार सकती है. 


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